Sunday, January 25, 2009

अमेरिका के तलवे चाटना कब छोडेगे .

आख़िर हम कब तक अपनी समस्या के लिए अमेरिका की अदालत में गुहार लगाते रहेंगे . हाल में जब मुंबई पर हमला हुआ तो इस हमले में पाकिस्तान का हाथ शामिल होने की बात को साबित करने के लिए हम अमेरिका के तलवे चाटते रहे . लेकिन हुआ कुछ भी नही . रात गई, बात गई . पाकिस्तान अपनी बात पर अड़ा रहा . और हम अब अगले हमले को सहने का साहस जुटा रहे है . आख़िर हम अपना डिसीजन कब लेंगे . कब हम अपने दुश्मन को ख़ुद सबक सिखायगे . जब अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर हमला हुआ, तब अमेरिका ने तालिबान को सबक सिखाने के लिए किसी की राय नही ली थी . उसने दुनिया की आवाज नही सुनी . वही जब बुश का सद्दाम से पंगा हुआ तो भी इराक पर हमला करने के लिए अमेरिका ने किसी की राय नही ली . तो फिर हम अपने फ़ैसला लेने के लिए अमेरिका के अदालत में जाना क्यो पड़ता है .
लतिकेश शर्मा
मुंबई

6 comments:

अक्षत विचार said...

आक्रोश् को आपने अभिव्यिक्त दी

राज भाटिय़ा said...

अमेरिका के तलवे चाटना कब छोडेगे कभी नही... क्योकि हमे दुम हिलाने की बीमारी है, हिम्मत होते हुये भी... इतने सॊ साल गुलाम रहे सो एक दम से गुलामो की आदत थोडी जयेगी

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!

संगीता पुरी said...

आक्रोश स्‍वाभाविक है.........गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

धीरज धरो-ये मैं नहीं कह रहा-सरकार कह रही है. :)


आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

latikesh said...

अक्षत जी ,
आप ने मरे पोस्ट पर कमेन्ट किया इसके लिए आप का धय्न्वाद .
देश से प्यार करता हु इस लिए ऐसे विचार निकल आते है . आप भी मेरे विचार से सहमत है . इसके लिए शुक्रिया .
लतिकेश शर्मा
मुंबई

latikesh said...

राज जी ,
आप का कमेन्ट पढ़ा . खुशी हुई की विदेश में इ रहने के बाद भी देश से आप को उतना ही प्यार है . आप का ब्लॉग अच्छा है . कमेंट्स भेजते रहिये . कभी मुंबई आना हो तो इसकी सूचना जरूर दे .
लतिकेश
मुंबई