आज हम पुरे देश में गणतंत्र दिवस मना रहे है । लेकिन यह एक दिन का गणतंत्र है. कल से हम सब फिर अपनी धुन में रम जायंगे . हमे फिर देश के बारे में सोचने की फुरसत नही होगी . हम सब अपनी अपनी दुकान चलाने में मस्त हो जायंगे . एक दिन देशभक्ति का गान गा कर हम उन लोगो के प्रति ऐहेशन जताते है . जिन्होंने इस देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान दे दी . मुझे लगता है . आज के दौर में देशभक्ति सिर्फ़ औपचारिकता रह गई है. नेता अपनी दुकान चलाने में ब्यस्त है , जिन लोगो पर देश की जिमेदारी है . वे अपनी तिजोरी भरने में लगे है . क्या हमरे लोगो ने देश का यही रूप देखने के लिए कुर्बानी दी थी . क्या आज उनकी आत्मा हमारे नेताओ को देख कर रोता नही होगा . आज हम आजाद तो हो गए है . लेकिन क्या हमे गरीबी , भूख , भ्स्त्रचार और बेरोजगारी से आज़ादी मिल पायेगी . क्या आज के नेता हमे इनसे आज़ादी दिलाने में सक्षम है . वो दिन दूर नही जब हमे विदेशो से नेता भी इंपोर्ट करने होगे . गणतंत्र दिवस पर यह लेख लिख रहा हु . इसके बाजवूद गणतंत्र दिवस की आप सभी लोगो की ढेर सारी शुभकामना .
लतिकेश
मुंबई
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4 comments:
अच्छी पोस्ट और गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई
बावजूद इसके:
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अच्छा लेख है दोस्त ...
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
भागती दौडती इस जिंदगी में देशभक्ति भी क्षणिक रह गई... अब देशभक्ति को एक दिन के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है... लोग भी इसी तरह गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को मनाना चाहते है... तभी तो २६ तारीख को देशभक्ति के वो गीत सुनने मिलते है, जो साल भर किसी ऐसे बक्से में छिपा दिए जाते है जो गलती से भी २६ जनवरी और १५ अगस्त के सिवाय सामने नही आते... शायद अब यही है हमारे गणतंत्र की नई परिभाषा..
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