Thursday, February 26, 2009

उस पत्रकार की वेदना को पढ़ मेरी आँखे नम हो गई


एक मीडिया वेबसाइट पर एक पत्रकार संजीव शर्मा की आपबीती पढ़ी...सच में संजीव के दर्द को पढ़ कर मेरी आँखे नम हो गयी .संजीव ने लिखा है की एक स्टिंग ओपरेशन को अंजाम देने का ,उन्हें जिंदगी भर मलाल रहेगा ।सच ही तो है, एक पत्रकार जब किसी को इन्साफ नहीं दिला पता है ,तो वो अपने आप को जिंदगी भर कोसता रहता है ॥मेरी नज़र में यदि संजीव जी जिस मकसद से स्टिंग ओपरेशन करने गए थे, यदि उसी रूप में उन्हें स्टोरी मिल जाती तो, वो एक साधारण सी स्टोरी या स्टिंग ओपरेशन बन कर रह जाती ।लेकिन जिस सच से संजीव जी का सामना हुआ ,वो सच तो दिल को हिला देनेवाला है ॥एक महिला जो प्रसव पीडा से गुजर रही हो और उसके बाद भी अपना शरीर बेचने के लिए तैयार हो...सुन कर कलेजा कॉप जाता है॥आखिर वो महिला अपने प्रति इतनी निर्मम कैसे हो सकती है ।क्या उसे जिंदगी में इतने जख्म मिले है की, उसे अब किसी चीज़ की परवाह नहीं .जब पूरी कहानी पढ़ी तो लगा की दोषी कौन है ,वे लोग जिन्होंने उस लाचार महिला का फायदा उठाया या फिर हम पत्रकार जो उसे इन्साफ नहीं दिला सके ।मै यहाँ संजीव शर्मा द्वारा मीडिया के वेबसाइट भड़ास ४ मीडिया पर लिखे गए उनकी लाचारी को भड़ास ४ मीडिया का क्रेडिट देते हुए कॉपी पेस्ट कर रहा हु, ताकि आप भी इस सच को पढ़ सके ।

पेश है संजीव शर्मा की आपबीती .सौजन्य - भड़ास ४ मीडिया .कॉम

मैं उस समय एक न्यूज चैनल में काम करता था। मेरी सबसे ज्यादा दिलचस्पी खोजी पत्रकारिता में थी। मुझे जानकारी मिली थी कि हिमाचल प्रदेश के एक जिला में सिर्फ 10 रुपए में जिस्म बिक रहा है। सुन के विश्वास होना आसान नहीं था लेकिन न जाने क्यों मैं इस सनसनीखेज खबर को अपने कैमरे में कैद करने के लिए बेचैन हो गया। मैंने सबसे पहले अपने चैनल को इसकी सूचना दी। मुझे पहले मना कर दिया गया क्योंकि स्टिंग ऑपरेशन चैनल दिखाना ही नहीं चाहता था।
मैंने अपने समाचार प्रमुख से भी बात की लेकिन उन्होंने भी रोक दिया। काफी मनाने के बाद मुझे स्टिंग करने के लिए कह दिया गया। मैं खुश था क्योंकि यह मौका अपने आपको साबित करने का था। मैं कैमरा पर्सन को लेकर उस इलाके में पहुंच गया। वो एरिया काफी खतरनाक था। हमारी एक गलती जान पर भारी पड़ सकती थी लेकिन न जाने क्यों कदम पीछे खीचने को मन नहीं कर रहा था। 100 किलोमीटर का लंबा सफर तय करके मैं वहां पहुंच गया था जहां मेरी मंजिल थी। हम वहां एक सरकारी अतिथि गृह में रुके। हमने अपने मिशन के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। अतिथि गृह के चौकीदार से मैंने पूछा कि क्या हमें एक रात के लिए कोई लड़की यहां मिल सकती है। चौकीदार ने उपर-नीचे घूरा और कहा कि मुझे आप लोग मीडिया वाले लगते हैं। कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं होगी। चौकीदार को हमने यकीन दिला दिया कि हम मीडिया वाले नहीं है। चौकीदार ने बताया कि यहां एक महिला है जिसके साथ आप 10 रुपये में ही सेक्स कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए पहले आपको मेरी जेब गर्म करनी होगी। मैंने तुरंत उसकी जेब में 100 रुपए दे दिए। दो-तीन दिन हम होटल में ही रुके रहे। एक दिन सुबह-सुबह चौकीदार हमारे कमरे में आया और कहा कि वो महिला बाहर खड़ी है, जिसकी आपको जरूरत है। मैंने कहा हमे पहले दूर से दिखाओ। मैंने दूर से जब उस महिला को देखा तो आंखें चकरा गई। उसकी उम्र करीब 30 साल थी और गजब की सुंदर थी। वह महिला गर्भवती दिख रही थी। गर्भ भी आखिरी स्टेज में था, मतलब 8 या 9 महीने का गर्भ रहा होगा। मैंने चौकीदार से कहा कि वह मुझे उस महिला के घर लेकर चलते। चौकीदार ने पहले तो मना किया लेकिन बाद में वे हम लोगों को उसके घर पहुंचाने के लिए राजी हो गया। होटल से 20 किलोमीटर दूर उसका घर था। हम बड़ी मुश्किल से वहां पहुंचे। महिला के घर में घुसे तो देखा कि वह दर्द से बेहाल हो रही थी। उसे हम लोगों को अपने घर में देखकर झटका-सा लगा। उसने चोकीदार से कहा कि वो कभी भी बच्चे को जन्म दे सकती है। वो हम लोगों को यहां बाद में लाता। मुझे वहां कि भाषा समझ में आती थी। मैंने उस महिला से कहा कि हमें सेक्स नहीं करना है। बस आप हमसे कुछ पल के लिए बात कर लो। वो महिला मान गई। मैंने कहा कि आप क्यों अपने जिस्म को बेचती हैं। उस महिला का जवाब बड़ा कड़वा था। उसने कहा कि जनाब, यहां सब जिस्म को रौंदने वाले आते हैं। पहली बार किसे ने वो सवाल पूछा है जिसका जवाब मेरे पास भी नहीं हैं। उस महिला ने कहा कि आप यहां अपनी हवस की भूख मिटाने आए हो, जो करना है अन्दर चलो और करो। मैंने पूछा कि क्या कीमत लोगी। उसने कहा- सिर्फ 10 रुपए। मैंने कहा- मुझसे आधा घंटा बात कर लोग, 500 रुपए दूंगा। वह बोली- मैं भिखारी नहीं हूं। मैंने कहा कि जो तुम कराती हो वो तो भिखारी से भी गन्दा काम है। उसने कहा कि मैं आपके हर सवाल का जवाब दूंगी लेकिन पैसे नहीं लूंगी। पता नहीं क्यों, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बता दिया कि हम लोग यहां एक मिशन पर आए हैं और टारगेट सिर्फ आप हो। मैं आपकी जिंदगी के बारे सब कुछ जानना चाहता हूं।
मैंने कैमरा पर्सन को कहा कि कैमरा आन रखे। उस महिला ने अपनी राम कहानी शुरू की, बोली- मेरी जब शादी हुई तब से 10 साल तक मेरा शारीरिक संबंध सिर्फ अपने पति से रहा। हम पहले भी गरीब थे आज भी गरीब हैं। गांव के ही एक स्कूल में स्वीपर की भरती होनी थी। मैंने सोचा कि क्यों न मैं यहां भरती हो जाऊं। मैं गांव के प्रधान के पास गई। मैंने कहा कि प्रधानजी, मुझे स्कूल में स्वीपर की नौकरी पर लगवा दीजिए। मुझे प्रधान से कुछ कागज भी लेने थे। प्रधान ने मुझे कहा कि सारा काम हो जाएगा, बस मेरी प्यास बुझा दो। प्रधान की मुझ पर पहले से ही गन्दी नजर थी। मैंने मना किया पर प्रधान जबरदस्ती करने पर उतारू हो गया। उसे बहुत रोका लेकिन उस दरिन्दे ने मेरी एक न सुनी। इसके बाद मुझे नौकरी के लिए पंचायत सेक्रेटरी के पास जाना था क्योंकि प्रमाणपत्र पर उनका साइन होना था। प्रधान ने उसे सब कुछ बता दिया था। उसने भी वही मांग की जो प्रधान ने की थी। कई शिकारी मुझ पर हमला बोल चुके थे लेकिन नौकरी मिलना अभी तक सपना था। वो समय भी आया जब इंटरव्यू था। इंटरव्यू लेने एसडीएम आईं थीं। साथ में उनका सहायक भी था। उसे भी प्रधान ने सब कुछ बता दिया था। एक बार सोचा कि शायद नौकरी लग जाए तो सब कुछ भूल जाउंगी लेकिन यहां भी मुझसे एसडीएम के सहायक ने कई रात उसी होटल में सेक्स किया। फिर भी मुझे नौकरी नही मिली। एक नौकरी के लिए मैंने सब कुछ लुटा दिया लेकिन नौकरी तो नहीं मिली। हां, जिस्म की मंडी में नौकरी जरूर मिल गई। अब हर रोज बिकती हूं, सिर्फ 10 रुपए में।
इतना सब कहकर वो महिला रोने लगी। इस महिला की एक 17 साल की बेटी भी है जो अपनी मां की ही तरह सुंदर है। वह 11वीं में पढ़ रही है। बेटा दूर कहीं हास्टल में रहकर पढ़ता है। बेटी गांव में सबसे शरीफ मानी जाती है लेकिन गांव वालो ने उस लड़की का भी जीना हराम कर दिया है। महिला ने कहा कि आज गांव की महिलाएं हमसे बात नहीं करती लेकिन रात के वक्त कई मर्द मेरे मेरे साथ मुंह काला करने के लिए आ जाते हैं।
महिला की बातें सुनकर मैं परेशान हो गया। मन ही मन ठान लिया कि इस महिला को अपने चैनल के माध्यम से इंसाफ दिलाउंगा। मैंने अपने न्यूज चैनल को स्टिंग आपरेशन का सारा वीडियो भेज दिया। यह खबर जब प्रसारित हुई तो कई दिनों तक सुर्खियों में रही। चैनल ने न सिर्फ टीआरपी बटोरा बल्कि पैसा भी खूब कमाया। पर उस महिला के हिस्से आया सिर्फ बदनामी। मेरा यह कैसा मिशन था! जिस देश में एक महिला प्रधानमंत्री की कुर्सी को लात मार देती है, जिस देश में राष्टपति पद पर एक महिला विराजमान हो, उसी देश में एक महिला सिर्फ 10 रुपये के लिए जिस्म बेचने को मजबूर है। न्यूज चैनल पर खबर चलने के बाद उस महिला का दर्द सभी तक पहुंचा होगा। सत्ता तक, एनजीओ तक, संगठनों तक। लेकिन महिला को सिवाय बदनामी हाथ आने के, कुछ नहीं मिला। मुझे अफसोस है कि मैंने उस महिला का स्टिंग आपरेशन कर अपने चैनल को क्यों भेजा जब चैनल में इतना दम नहीं था कि वो महिला को न्याय दिला सके। मुझे अब महसूस होता है कि मीडिया किसी मिशन पर नहीं है। उसे सिर्फ ऐसी खबरें चाहिए जिससे उसे टीआरपी मिले और पैसा मिले। आखिर कब मिशन की पगडंडी पर फिर चलेगा मीडिया का पहिया?
लेखक संजीव शर्मा पत्रकार हैं। mediasanjeev@gmail.com

5 comments:

अनिल कान्त said...

मेरी भी आँखें नाम हो गयी .... जब न्यूज़ चैनल इन्साफ नहीं दिला सकते तो आम आदमी की क्या बिसात ....बहुत ही दर्द भरी दास्तान

रंजना said...

nihshabd hun......

Anonymous said...

वाकई दिल दहलाती है खबर।

Unknown said...

sharma ji meri wajah se aap k aankho main ashak aaye main es k liye shama chahoonga....
mujhe dukh es baat ka jab maine apne dukh ko byan kiya to saara media mere 7 roya or khushi ki ki saare media ki soch ab bhi ek hain kaash KHABRON KA KAROOBAR KARNE WALE BHI ese samajh sakte...
main aapko nahin jaanta lekin aapki wajah se duniya mujhe jaane lagiu hain aapka blog pada so raha nahin...
aapka
sanjeev sharma

latikesh said...

संजीव जी
जब मैंने एक मीडिया वेबसाइट पर आप के दर्द को पढ़ा , तो मै अपने पोस्ट पर इसे प्रकाशित कर ज्यादा लोगो तक पहुचाने की कोशिश की है .,मुझे ख़ुशी ,है ,करीब ५० से भी ज्यादा लोगो ने आप के अनुभव को पढ़ा और ..उस पर अपने दुःख का इज़हार भी किया है ..संजीव जी , मै आप की सराहना करता हु की मीडिया मे जॉब के प्रेशर के वावजूद आप ने अपने अनुभव को बड़े ही बेबाकी से लिखा है ..आप के साहस की मै दाद देता हु.
आप सदा सुखी रहे , यही ईश्वर से कामना करता हु.
latikesh
मुंबई