Sunday, July 12, 2009

आशुतोष जी ,२० साल बाद फिर आप की भी जरुरत नहीं होगी

मीडिया में एक रिपोर्ट पढ़ रहा था ..वाक्या जाने माने पत्रकार उदयन शर्मा जी की याद में आयोजित एक कार्यकर्म का था ..जिसमे कहा गया की आज के दौर के जाने माने पत्रकार आशुतोष जी के विचार सुन कर वहा बैठे सीनियर पत्रकार बौखला गए. .रिपोर्ट के मुताबिक आशुतोष जी ने कहा की आज का दौर बदल गया है ..अब पुराने लोगो की जरुरत नहीं है .. मै भी एक अदना सा पत्रकार हु और मै आशुतोष जी की काफी इज्जत करता हु ..लेकिन ,सर यदि आज के दौर में पंडित जवाहर लाल नेहरु और गिरीलाल जैन की जरुरत नहीं है ऐसे में २० साल बाद युवा पत्रकार भी यदि ये कहे की आशुतोष जी की जरुरत नहीं है . तो.आप को कैसा लगेगा .सर, मुझे लगता की आप जैसे पत्रकार की जरुरत हर दौर में है जिस तरह पंडित जवाहर लाल नेहरू और गिरीलाल जैन की जरुरत हर दौर में होगी ..आशुतोष जी ..दौर बदल सकता है ..लेकिन पत्रकारिता के मायने और उसका मूल आधार हर दौर में एक ही होगा या हम कहे की एक ही होना चाहिएआशुतोष जी , इस बात में कोई शक नहीं की आज पत्रकारिता पर बाज़ार हावी हो गया ..पहले हम कहते थे की यह खबर जरुर चलेगी ..लेकिन आज हम कहने लगे है की यह खबर जरुर बिकेगी इस बात से मै इतेफाक रखता हु की आज के दौर में टीवी न्यूज़ चैनल चलाना हो या फिर कोई पत्रिका निकालनी हो ,तो खर्चा ज्यादा है ..और हो सकता है की यही वजह है की अब हमे खबर बाज़ार की जरुरत के हिसाब से तय करने पड़ते है .लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बीच भी हमें साफ़ सुथरी पत्रकारिता को तरजीह देनी ही होगी .वही जहा तक महान विभूतियों की बात है तो.वे हर दौर में जीवित रहेंगे .क्या कबीर के दोहे आज के दौर में भी सामयिक नहीं है ..क्या विवेकानंद द्वारा विश्व धर्म समेल्लन में दिया गया भाषण आज भी हमारे देश को गौरव प्रदान नहीं करता ..और मुझे यकीन है की आनेवाली पीढी भी आप की पत्रकारिता से शिक्षा लेती रहेगी .मै भी एक पत्रकार हु ..और मेरे दिल को जो लगा मैंने आप के बारे में निर्भीक होकर लिख दिया ..शायद यही पत्रकारिता है ..यदि मै डर जाता की कल आप के पास जॉब मागने के लिए जाना पड़े तो किस मुह से जाऊंगा तो यह सब नहीं लिख पाता . लेकिन कल जरुरत पड़ी तो मै आप के पास जॉब मागने भी आऊंगा . और मुझे यकीन है की आप जॉब दे या न दे ,मिलेंगे जरूर ..वो आप की महानता होगी .

आशुतोष जी द्वारा दिए गए भाषण का पूरा विवरण आप इस लिंक पर पढ़ सकते है http://mediamarg.blogspot.com/2009/07/blog-post_11.html


लतिकेश


मुंबई


4 comments:

इरशाद अली said...

मैं खुद आशुतोष की पिछली वाली सीट पर बैठा था, मैंने उससे बदतमीज पत्रकार कोई दूसरा नही देखा।

उपाध्यायजी(Upadhyayjee) said...

Eedhar kuchh din pahle hi pata chala ki Ashutosh Ek Channel ke MD ho gaye hain. Bahut der tak hamko yaad nahin aa raha tha ki ye Ashutosh ko kahin dekhe hain. Jab yaad aaya to bahut aashcharya hua.

श्रद्धा जैन said...

Nirbheek hokar likha gaya lekh padh kar achha laga
aise hi yuva patrkaaron ki zarurat hai

Bhawna Kukreti said...

jiske andar se vinamrata chali jaati hai vah chhahe kitana safal kyon naho ek din toote taare ki tarah girta hai aur uska nishaan bhi nahin milta .
vaise mujhe bhi inka vyavahaar t.v. par bhi achha nahi dikhta , jaane kud ko kitana bada patrakaar samajhate hain . is se laakh guna behtar insaan aur patrakaar to "DAINIK JAAGRAN HARIDWAR KE NAVEEN PANDEY JI" hain .