(शुक्रवार /२८ मई २०१० / इंदौर /मीडिया मंच )
जाति आधारित जनगणना के नुकसान न देश के विभाजन का खतरा पैदा हो सकता है। न अराजकता का माहौल बनेगा और कई कानूनी समस्याएँ पैदा होंगी।न लोगों में राष्ट्रवाद के बजाए जातिवाद का जहर फैलेगा। न गरीबों, शोषितों के बजाए योजनाएँ जाति को ध्यान में रखकर बनाई जाएँगी। न संसद, सरकार, अदालतें, शिक्षण संस्थाएँ और यहाँ तक कि हमारी दैनिक गतिविधियाँ भी जातीय खाँचों में बँट जाएँगी।नजनगणना में न हो जाति का उल्लेख नदेश की एकता-अखंडता के लिए घातक .वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने खोला मोर्चा
जाति का जहर न फैलाएँ
जाति आधारित जनगणना देश की एकता व अखंडता के लिए घातक है। जातिवाद का जहर फैलाने के बजाय देशवासियों में राष्ट्रवाद का भाव जागृत करने के उपाय किए जाने चाहिए। जाति आधारित जनगणना के दुष्परिणामों से देश में लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी। देशहित, जनहित के बजाए हमारी मानसिकता जातिहित को प्राथमिकता देने की बन जाएगी।
यह बात सुप्रसिद्ध राजनीतिक चिंतक वेदप्रताप वैदिक ने प्रेस क्लब में कही। वे " जनगणना से जाति हटाओ"अभियान के तहत संबोधित कर रहे थे। श्री वैदिक ने बताया कि जाति आधारित जनगणना के दुष्प्रभावों से शासन, प्रशासन व आमजन को आगाह करने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए इस अभियान के साथ तमाम बुद्धिजीवी जुड़ रहे हैं। संरक्षक मंडल में राम जेठमलानी, वसंत साठे, बलराम जाखड़, सोली सोराबजी तथा आयोजक मंडल में आरिफ मोहम्मद खान, डॉ. सुभाष कश्यप, जगदीश शर्मा, वीरेश प्रताप चौधरी, दिलीप पडगाँवकर, रजत शर्मा आदि शामिल हैं। "सबल भारत "नामक मातृसंस्था के अंतर्गत चलाए जा रहे इस अभियान की शुरुआत श्री वैदिक के दिल्ली में प्रकाशित लेख "मेरी जात, सिर्फ हिन्दुस्तानी" से हुई है।
जाति के कॉलम में लिखें "हिन्दुस्तानी"
श्री वैदिक ने लोगों से अपील की कि वे जाति का कॉलम खाली छोड़ दें। यदि भरने की अनिवार्यता हो तो यहाँ केवल "हिन्दुस्तानी" लिखें। उन्होंने कहा कि मालवा समेत देश के कई हिस्सों में जातिवाद का जहर नहीं फैला है। यह आगे भी न फैले इसके लिए जाति आधारित जनगणना को रोकना होगा। राजनीतिक दल सत्ता और वोट बैंक के लिए इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं, मगर जनता को इसे सिरे से नकारना होगा। श्री वैदिक ने कहा कि प्रधानमंत्री अभी अनिश्चय की स्थिति में हैं मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, शिरोमणि अकाली दल समेत कई संस्थाओं तथा विद्वानों ने जाति आधारित जनगणना का पुरजोर विरोध किया है।(साभार - नईदुनिया)
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