Friday, June 4, 2010

क्या छोटा राजन गिरोह खात्में के कगार पर है ?
(शुक्रवार /04 जून 2010 / जीतेन्द्र दीक्षित /मुंबई )

गैंगस्टर फरीद तनाशा की हत्या के बाद अब अंडरवर्लड में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या छोटा राजन का गिरोह खत्म हो गया है। बीते 10 सालों में राजन के कई खास साथियों ने उससे गद्दारी करके अलग गिरोह बनाया, कुछ दुश्मनों या पुलिस के हाथों मारे गये और कुछ गिरफ्तार हुए। इससे अंडरवर्लड में छोटा राजन की पकड लगातार ढीली पडती गई।
फरीद तनाशा उन चंद बचे खुचे गैंगस्टरों में से था जो अब तक छोटा राजन के साथ थे। तनाशा ही इन दिनों मुंबई में राजन गिरोह का काला कारोबार संभाल रहा था। तनाशा की हत्या ने राजन गिरोह के ताबूत में एक और कील ठोंक दी है। अंडरवर्लड में सवाल उठ रहा है कि अब क्या छोटा राजन का खौफ बरकरार रह पायेगा? क्या उसके धमकी भरे फोन कॉल्स से डरकर फिल्मी हस्तियां, बिल्डर और बडे कारोबारी उस तक मोटी रकम पहुंचायेंगे? क्या राजन के कट्टर दुश्मन दाऊद इब्राहिम के लोगों को उससे छुपने की जरूरत पडेगी ? हाल के सालों में राजन गिरोह की जो दुर्दशा हुई है उस पर गौर करें तो जवाब मिलता है नहीं।
15 सितंबर 2000 को राजन पर बैंकॉक में हमला हुआ और तबसे राजन गिरोह ने बिखरना शुरू कर दिया। ये हमला अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के निशानदेही पर हुआ था। हमले में राजन तो बच गया लेकिन उसका दाहिना हाथ रोहित वर्मा मारा गया। इसके चंद दिनों बाद ही साल 2002 में उसके खास साथी ओ.पी.सिंह की नासिक जेल में मौत हो गई। शक जताया जा रहा है कि राजन ने ओपी सिंह की हत्या करवा दी थी क्योंकि वो एक पुलिस अधिकारी के साथ मिलकर अलग गिरोह बनाने जा रहा था। चार साल बाद राजन ने अपने एक और बडे साथी बालू ढोकरे को खो दिया। मलेशिया की राजधानी क्वालालुमपुर में उसकी हत्या हो गई।
राजन के कई पुराने साथी भी इस बीच उससे अलग होकर अपना अलग गिरोह चलाने लगे। रवि पुजारी, हेमंत पुजारी, बंटी पांडे, इजाज लाकडावाला और भरत नेपाली उससे अलग होकर खुद ही अपना अपना अलग गिरोह चलाने लग गये हैं। इस बीच पुलिस ने राजन गिरोह पर काफी दबाव बनाया। बीते 15 सालों में पुलिस ने छोटा राजन से जुडे करीब 100 गैंगस्टरों को एनकाउंटर्स में मार दिया। राजन की पत्नी सुजाता निकालजे और भाई दीपक निकाजले को भी आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किया गया। राजन के फिलहाल 2 बडे साथी ही बाहर है डी.के.राव और विकी मल्होत्रा। दोनो इसी साल लंबा वक्त जेल में गुजार कर बाहर निकले हैं और इनकी हर हरकत पर पुलिस की नजर रहती है।
छोटा राजन का गिरोह कमजोर तो हुआ है लेकिन वो अब भी अपने दुश्मन दाऊद इब्राहिम की हिटलिस्ट पर है। यही वजह है कि उसे लगातार अपना ठिकाना बदलते रहना पडता है.
(साभार - मुंबई के जाने -माने पत्रकार जीतेन्द्र दीक्षित के ब्लॉग से )

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