Thursday, September 23, 2010


अयोध्या मूदे पर मीडिया सनसनी ना फैलाएं
(गुरुवार /23 सितम्बर 2010 /नई दिल्ली /मीडिया मंच )
दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (डीजेए) ने इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में कार्यरत सभी मीडिया-कर्मियों से अपील की है कि वे अयोध्या के मुद्दे पर समाचार संकलन करते हुए सयंम बरते और सनसनी ना फैलाएं। मीडिया जगत से संबधित विभिन्न प्रकार के प्रसार माध्यमों से अपील करते हुए कहा गया है कि वह कोर्ट के फैसले के बारे में अंदाज लगाते हुए समाचारों का प्रसारण ना करें। अपील में गया है कि अयोध्या का मसला चूंकि बहुत संवेदनशील है इसलिए इससे जुड़ी खबरों को दिखाते या प्रकाशित करते हुए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही साथ यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि इससे जुड़ा कोई भी ऐसा समाचार न दिखाया जाए जो सनसनीखेज, भड़काऊ या उत्तेजक हो। इस पूरे मामलें में संतुलन का परिचय देते हुए किसी एक वर्ग विशेष की भावनाओं की उपेक्षा ना करें। कोर्ट के किसी भी फैसले के बाद हार-जीत वाले दृश्य, फोटो और समाचारों से बचा जाए। गौरतलब है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ 24 सितंबर को फैसला सुनाने वाली थी लेकिन फिलहाल अदालत ने फैसला एक सप्ताह के लिए टाल दिया।
दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा कान्स्टीटयूशन क्लब के डिप्टी-स्पीकर हाॅल में ’’अयोध्या और मीडिया’’ विषय पर आयोजित पत्रकारों की परिचर्चा में एडीटर गिल्ड आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एवं नई दुनिया के संपादक आलोक मेहता ने पत्रकारों को अयोध्या मसले पर हो रही राजनीति से दूर रहने की सलाह देते हुए इस संवेदनशील मुद्दे पर संयम बरतने, अतिरंजित खबरे नहीं देने, उकसाने वाले लोगों को सतर्क करने, सही सूचनाएं देकर सरकारों पर दबाव बनाने तथा अपने मोबाइल और ब्लाग से लोगों को जागरूक करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तमाम गडबडियों के बावजूद मीडिया अपनी साख बनाए रखने का ध्यान रखे और राजनीतिक दलों व गैर जिम्मेदार लोगों के बहकावे में नहीं आए।
वरिष्ठ पत्रकार और प्रथम प्रवक्ता के संपादक राम बहादुर राय ने अयोध्या मामले की अदालती प्रकिया की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1986 में मंदिर का ताला खुलने के बाद से आज तक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। अब दोनों पक्षों में उन्माद का तत्व नहीं है जो एक सकारात्मक पहलू है। दोनों पक्षों में जिसके खिलाफ फैसला आएगा वह उसके विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में जाने की बात कह रहा है। इसलिए मीडिया को तथ्यों को सही ढंग से रखना चाहिए तथा मंदिर मस्जिद विवाद में न पड़कर इस पर चल रही राजनीतिक का औजार नही बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम आदमी इस विवाद का हल बिना खून, खराबे में चाहता है।
उर्दू अखबार हमारा समाज के संपादक खालिद अनवर ने पत्रकारों को अयोध्या मसले पर हो रही राजनीति से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा की प्रिंट मीडिया को आज भी बेहद संजीदगी से लिया जाता है इसलिए राजनीतिक दलों व गैर जिम्मेदार लोगों के बहकावे में न आकर, हमें समाज के हित को ध्यान में रखकर रिपोर्टिग करनी होगी।
परिचर्चा को डीजेए के अध्यक्ष मनोज वर्मा और महासचिव अनिल पंाडेय, नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के उपाध्यक्ष रास बिहारी, वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र प्रभू, अरविन्द घोष, हर्षवर्धन, एम0डी0 गंगवार नई दुनिया के विधि संपादक अनूप भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार प्रवीन के0 सिंह, पीटीआई भाषा के मनोहर सिंह, ट्रिब्यून के राजकुमार सिंह, वार्ता के सुभाष निगम, जनसत्ता की प्रतिभा शुक्ल, इंडिया न्यूज टीवी चैनल के यतेन्द्र शर्मा आदि ने संबोधित किया। अमर उजाला के मेट्रो संपादक अनूप वाजपेई ने कार्यक्रम का संचालन किया।

(दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा ज़ारी )

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