जिस तरह आजकल लोगों के कपड़े देख कर औकात का पता चलता है , उसी तरह आजकल न्यूज़ चैनल के औकात का पता उसकी trp देख कर चलता है । trp के चक्कर में पत्रकारिता कहाँ जा रही है , उसके
बारे कोई भी सोचने के लिए तैयार नही है । क्या करे चैनल हेड को अपनी दुकान भी तो चलानी है । यदि trp कम हुई तो unhe बॉस को जवाब देना होगा । और अगर trp lagatar कम होती गई तो सबसे बड़ा khatra उनकी job को ही होता है ।
yaise में अब बॉस kee naukari खतरे में होती है तो , छोटे लोगो को hata कर cost कट किया jata है ।
इस बारे में patrkar भाई आप क्या सोचे है मुझे लिख कर बताये ।
लातिकेश शर्मा
mumbai
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1 comment:
this is called world,u like it or not.
u wanna change it then try ...
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