Tuesday, July 15, 2008

TRP का दर्द

जिस तरह आजकल लोगों के कपड़े देख कर औकात का पता चलता है , उसी तरह आजकल न्यूज़ चैनल के औकात का पता उसकी trp देख कर चलता है । trp के चक्कर में पत्रकारिता कहाँ जा रही है , उसके
बारे कोई भी सोचने के लिए तैयार नही है । क्या करे चैनल हेड को अपनी दुकान भी तो चलानी है । यदि trp कम हुई तो unhe बॉस को जवाब देना होगा । और अगर trp lagatar कम होती गई तो सबसे बड़ा khatra उनकी job को ही होता है ।
yaise में अब बॉस kee naukari खतरे में होती है तो , छोटे लोगो को hata कर cost कट किया jata है ।
इस बारे में patrkar भाई आप क्या सोचे है मुझे लिख कर बताये ।
लातिकेश शर्मा
mumbai


1 comment:

Anonymous said...

this is called world,u like it or not.
u wanna change it then try ...