Thursday, January 29, 2009

फिजा का चाँद खो गया


यह कहानी पुरी फिल्मी है । फिल्म तो मुंबई में बनती है। लेकिन रियल लाइफ में एक फ़िल्म बनी हरियाणा में .फ़िल्म के नायक थे हरियाणा के उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन और सरकारी महिला वकील अनुराधा . सरकारी महकमे में होने के कारण अनुराधा का चन्द्रमोहन से अक्सर मिलना जुलना होता था . नज़रे मिली फिर दोनों में प्यार हो गया . लेकिन अड़चन यह थी की चन्द्रमोहन शादी शुदा था और उनके शायद ३ बच्चे भी है . ऐसे में वह अनुराधा से शादी कैसे कर सकता था . लेकिन फिल्मी कहानी की तरह महबूबा वकील मैडम अनुराधा जी ने इसका भी तोड़ निकाल लिया . दोनों ने इस्लाम धर्म कबूल कर चन्द्रमोहन से चाँद और अनुराधा से फिजा बन कर शादी रचा ली . लेकिन यह प्यार सिर्फ़ चार दिनों का था . असली क्लाइमेक्स तो अभी बाकी था. अभी सुहागरात के बीते ४ दिन ही हुए थे की फिजा के चाँद को ग्रहण लग गया . चाँद अपनी फिजा से खफा हो गया . अब जो चाँद फिजा की गिरफ्त में रहता था , वो अब फिजा से भागा भागा फिर रहा है . नौबत अब जान देने तक की आ गई है . फिजा ने नीद की गोलों खा कर खुदकुशी करने की कोशिश की. और मीडिया वाले चटकारे ले कर न्यूज़ दिखा रहे है .
अब क्या चाँद, फिजा को फिर से अपना लेगा ,
चाँद फिर से फिजा पर प्यार का फूल खिलायेगा ,
या ,फिर अब फिजा के लिए कहा जा सकता है ...न खुदा ही मिले, न बिसाले सनम ...ना इधर के रहे ,ना उधर के हम ।
इन सारे सवालो, के जवाब के लिए पढ़ते रहिये मेरा ब्लॉग क्योकि कहानी अभी बाकि है ,मेरे दोस्त .
लतिकेश
मुंबई

2 comments:

ss said...

अब क्या चाँद, फिजा को फिर से अपना लेगा ,
चाँद फिर से फिजा पर प्यार का फूल खिलायेगा ?

agar haan to type Y, nahi to N n send it to 1234.

अनिल कान्त said...

जो सर अपनी सोचते हैं ...अपने बीवी -बच्चो की नही वो जिंदगी में खुश कैसे रह सकते हैं .....वैसे आपका लेख काफ़ी मसालेदार था ..अच्छा लगा


अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति