
जब मै पढाई करता था .तब और आज जब मै नौकरी करता हु तो भी .एक वाक्य ने मेरा पीछा नही छोडा 'भारत गरीबो का देश है .आखिर ,हमारे देश को गरीब किस ने कहा , जी में आता है ,उस शख्स को गोली मार दू ...भारत गरीबो का देश है ...इस वाक्य को इस तरह से हमारे देश में प्रचारित किया गया की हमारी मानसिकता भी गरीब हो गयी ..अब जब देश की मानसिकता ही गरीब हो जाये ..तो उस देश के लोग क्या खाक तरक्की करेंगे .जो देश शिक्षा से लेकर संस्कार और सम्पदा से लेकर संसाधन में सबसे धनी हो उस देश को आप गरीब कैसे कह सकते है ...जिस देश में भगवान कृष्ण से लेकर स्वामी विवेकानंद जैसे ज्ञानवान विभूतियों ने जन्म लिया हो उसे देश को गरीब कैसे कहा जा सकता है ..जिस देश में कबीर जैसा सर्वज्ञानी और तुकाराम जैसे महान संत ने अपने ज्ञान से पुरे देश को प्रकाशमय किया .उस देश को गरीब कैसे कहा जा एकता है .क्या सिर्फ पब और डिस्को में वेस्टर्न धुन पर कमर हिलाना विकास की कसौटी है .हा , मै मानता हु ..की देश में पानी और बिजली के अलावा रोजगार की प्रोब्लेम्स है ..लेकिन यह प्रॉब्लम हम लोगो ने खुद पैदा की है ..हमारे देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं लेकिन ..हमारे देश के लीडर्स ने इसका बंटाधार कर रखा है ॥अपनी तिजोरी को भरने के चक्कर में वे देश का भला कहा सोचते है ।और हम भी अपनी आँख मूद कर देश के नेता को चुनते रहते है ॥गरीबी हमारे देश के लोग के दिमाग में इस तरह से भर कर रख दिया है की पूरी जिंदगी गरीबी की मानसिकता को खत्म करने में लग जाती ..अरे गरीब मानसिकता को दिमाग से निकाल फैको ...इस मानसिकता को छोडो दो की जिस देश के लोगो के पास ज्यादा पैसा वो सबसे ज्यादा सुखी है ., अमेरिका का हाल देख रहे हो ना ..अब उस देश के लोग अपने ही सम्मान को वापस पाने के लिए लड़ रहे है ..वो सम्मान सिर्फ पैसे से जुडा है ..यार इकोनोमी की मंदी ..ठीक है लेकिन यदि मानसिक मंदी आ जाये वो सबसे ज्यादा खतरनाक है ।यार पैसा कमाने के साथ बोद्धिक विकास भी जरूरी है ,॥कभी लगता है की जो जिंदगी मिर्जा ग़ालिब ने जी क्या वो जिंदगी पैसेवाले जी सकते है ..क्या कोई पैसावाला हवा पर ग़ज़ल लिख सकता है ...नहीं , उसे तो हर चीज़ में पैसा नज़र आता है ..ऐसे लोग मरने के बाद भी अपने वसीयत में लिख कर जायेंगे , यार थोडी कम लकडी में ही जला देना ..अंतिम संस्कार में ज्यादा पैसा मत खर्च कर देना.यार मानसिक गरीबी से बाहर निकलो .और जिंदगी को अपने रंग में जियो ..ये गलतफमी मत पालो ..की खुशिया सिर्फ पैसोवालो के घर में होती है ..इन पैसोवालो के घर की हकीकत जान जावोगे तो कहोगे की अच्छा है भगवान ने मुझे उतना ही दिया है ..जिस में अपने परिवार को अच्छा से पालने के अलावा घर पर आये साधू को भी भोजन भी मिल जाता है यार मानसिक गरीबी को अपने दिमाग से निकाल फैको और भूल जावो ..कर्म अच्छे करो और अपने हक की खाओ ........काफी सुकून मिलेगा
लतिकेश
मुंबई
1 comment:
इतने दिनों से देश को सब लूटे जा रहे हैं ... लूटे जा रहे हैं ... फिर भी देश चलता जा रहा है ... यह गरीब कैसे हो सकता है ... पर अब स्थिति बहुत बिगडती जा रही है।
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