Sunday, April 26, 2009

दूर का ढोल सुहावन लगता है



दूर का ढोल सुहावन लगता है ,


दोस्तों , काफी दिनों के बाद अपने पोस्ट के माध्यम से आप से मुखातिब हो रहा हु । गत कुछ दिनों से काम में मशरूफ होने के कारण लिखने का समय कम मिल पा रहा था । अब ज्यादा फुटेज न खाते हुई अपने मुदे पर आता हु ,दूर का ढोल सुहावन लगता है ,इस कहावत या फिर कहू इस मुहावरा को मैंने किताबो में काफी साल पहले पढ़ी थी । मुझे यकीं है कई लोग इसका मतलब समझते होंगे लेकिन जो पाठक न समझे उन्हें बताना चाहता हु की दूर का ढोल सुहावन लगता है ॥इसका मतलब है जो चीजे पास होती है उसकी इज्जत नहीं होती है वही जो चीजे दूर होती है ,,प्यारी लगती है .दरअसल इस विषय पर लिखने का मन तब हुआ जब अपने आप को बॉलीवुड का बादशाह कहलवाने में फक्र मह्सुश करनेवाले शाह रुख खान ने अपने आईपीअल टीम के लिए सौरव गांगुली को हटा कर मकुलिन को टीम का कॅप्टन बना दिया .


शुरू में मुझे भी लगा की गोरे लोग है ,भैया ,काले लोग से बेहतर सोचते होंगे लेकिन जब आईपीअल के खेल में मकुलिन का प्रदर्शन सामने आया तो पता चला की खोदा पहाड़ निकली चुहिया दोस्तों , ये सिर्फ क्रिकेट की बात नहीं हर फिल्ड में इसी तरह का माहौल है ।अपने फिल्ड में भी इसी तरह का चलन है . यदि कोई पत्रकार किसी नामचीन न्यूज़ चैनल से आ रहा है तो फिर आप से यह पूछा जायेगा की आप कितना पैसा लेंगे ॥भले ही काम के नाम .पर वो लिख blank लेख पत्थर हो यानि पूरा गोबरदास हो लेकिन उसके गोबर का दाम भी हमरे चैनल के रहनुमा लाखो में लगाते है और बाद में उन्हें लगता है की यार मजाक मजाक में कुछ ज्यादा ही पैसा दे दिया वही निजी जिंदगी में भी यही हाल है ..हर किसी को अपनी पत्नी से ज्यादा पडोसी की पत्नी ज्यादा सुन्दर लगती है ..लेकिन भैया जितने नखरे तुम्हारी पत्नी सह लेती है यदि पडोसी की बीवी के साथ होते तो कब का लात मार कर निकल जाती .अब मुझे लगता है मेरे पोस्ट के पाठक दूर का ढोल सुहावन का मतलब समझ गए होंगे .


लतिकेश शर्मा


मुंबई

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

लतिकेश जी,बहुत बढिया ढंग से मतलब समझा दिया।दूर के ढोल.......।

Anil Kumar said...

ढोल तो वाकई बहुत सुहावना दिखाया है! तरह-तरह के रंग और सुडौल आकार! वाह वाह! :)

अनिल कान्त said...

वाह भैया ...वाकई दूर के ढोल सुहावने ही होते हैं

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

निर्मला कपिला said...

aji ise is tarah bhi keh sakte hain ki ghar ki murgi daal baraber magar jab tak dhol baja kar na kaha jaye sunega kaun bahut rochak hai