
कसाब की सुनवाई की कहानी , एनडीटीवी के रिपोर्टर सुनील सिंह की जुबानी(पार्ट -01 )
(शुक्रवार /14 मई 2010 / सुनील सिंह /मुंबई )
15 अप्रैल 2009 का दिन, मेरे लिये बहुत बेताबी भरा था।बेताबी थी उस शख्स को देखने की जिससे पुरा हिंदुस्तान नफ़रत करता है। नाम है अजमल आमिर कसाब ....२६ नंवबर को मुंबई पर हुये हमले का अकेला जिंदा आतंकवादी।
आर्थर रोड जेल में कसाब को रखने के लिये इस्पात की विशेष जेल और अदालत बनायी गई थी ।जहा इंडियन तिब्बत बार्डर पुलिस का विशेष पहरा रहता।बहरहाल सुबह १० बजे हमें अदर जाने की इजाजत मिली। अदालत तक पंहुचने के लिए हमें ६ दरवाजे पार करने पडे। पुलिस की तरफ से हमें खास आईकार्ड दिये गये थे।उसके बिना अंदर प्रवेश वर्जित था।पहरा इतना सख्त था कि हमें एक पेन तक भीतर ले जाने की इजाजत नही थी।पुलिस ने हमारे लिये प्लास्टिक पेन की व्यवस्था की थी।जिसे हमें वापसी जमा करना होता था।
अदालत की इमारत तो वही थी ..93 तिरानवे मुंबई धमाको वाली लेकिन इसबार इसमे एसी लगी थी.जिसे हम कम ज्यादा भी करवा सकते थे।हमें बैठने के लिये खास बेंच लगाई गयी थीं..बिल्कूल स्कूल जैसी।
ठीक ११ बजे जज एम एल ताहिलियानी ने कुर्सी संभाली । सबसे पहले उन्होने माईक टेस्ट किया।
हमारी तरफ मुखातिब होकर पुछा..क्या मेरी आवाज सुनाई पड रही है?
हम सबने भी बिल्कूल स्कूली विद्यार्थियों की तरंह जवाब दिया ...यस सर।
अदालत देशी -विदेशी मीडिया से खचाखच भर चुकी थी। विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम खास गॉगल पहन कर आये थे।कसाब की वकील अंजली वाघमारे भी आ चुकी थी।तभी वकील अब्बास काजमी हमें दिखायी पडे ।हैरानी हुई ...काजमी यहा कैसे?
लेकिन उस समय हमारे लिये उससे भी अहम था कसाब की एक झलक पाना । मन में कई सवाल थे..कैसा दिखता होगा वो? ठीक ११ बजकर ३३ मिनट पर कसाब को अदालत में लाया गया । उसने जज को सलाम किया ।
जबकि उससे पहले लाये गये फहीम अंसारी और सबाहुदीन अहमद ने ऐसा कुछ नही किया था। कसाब की दाढी और सिर के बाल बढे हुये थे। बदन पर ग्रे रंग की टी शॆट थी और थ्रीफोर्थ ट्राउजर ।चेहरा से बिल्कूल मासूम दिख रेह कसाब को देखकर पहले तो यकीन ही नही हो रहा था कि ये ही वो शैतान है जिसने २६ नवंबर की रात खूनी खेल खेला था।हमारी कुछ पत्रकार नाजनीनों को तो कसाब 'डूड' लग रहा था।कसाब भी बार - बार लडकियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।उसकी आंखों मे छिपी हैवानियत मुझे साफ दिखायी पड रही थी। मैं स्वभाव से शायर नहीं हूँ लेकिन शौकिया तौर पर शायरी कर लेता हूँ लेकिन कसाब की भूखी आंखों ने उस दिन मुझे चार लाईने लिखने पर मजबूर कर दिया।
आखों से भी बया होती है इन्सान की फितरत ।
चाहे कितना भी छिपायें करे लाख मशक्कत।
कसाब की मासूम सूरत के पीछे छिपा है शैतान ।
नाजनीन खबरनविसों को घूरती उसकी आंखें करती है बयान।
कसाब की वकीव बनायी गई अंजली वाघमारे के लिये तो पहला ही दिन सिर मुड़ाते ही ओले पडे जैसा साबित हुआ।
अदालत ने उनसे कसाब का वकालतनामा वापस ले लिया। ये कहकर कि एक ही वकील आरोपी और पीड़ित दोनो की वकालत कैसे कर सकता है? अंजली को काटो तो खून नही ...उनकी आंखें भर आयी । कसाब की वकील बनकर रातों रात मशहूर होने वाली अंजली पलक भर में ही गुमनामी में चली गई ।
जजसाहब ने कसाब को बताया कि तुम्हारी वकील को हटा दिया गया है।अब तुम्हारे लिये दुसरा वकील देखेगें।
तब चतूर कसाब ने अपने लिये पाकिस्तानी वकील की मांग की ।जज ने उसे बताया कि पाकिस्तानी कि पाकिस्तानी वकील तो नही...लेकिन पाकिस्तान अगर हिंदुस्तानी वकील करे तो उसे जरुर इजाजत मिलेगी।
लेकिन तबतक चुंकि पाकिस्तान ने कसाब को अपना नागरिक नही माना था।इसलिये जज ने दुसरे दिन कुछ वकीलों को इंटरव्यु के लिये बुलाया।कसाब का मुकदमा लडने की इच्छा लिये लीगल एड पैनल से कुछ वकील आये भी।
जज ने चेंबर में सबसे मुलाकात भी की । लेकिन चयन अब्बास काजमी का हुआ। अब पहले दिन काजमी को अदालत में देख कर हुई हैरानी पर से पर्दा उठता दिखा।
अदालत का तीसरा दिन ...कसाब के नये वकील अब्बास काजमी कसाब नाबालिग है कहकर ऐसा पाशा फेंका कि एक बार तो लगा कि विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम चारों खाने चित्त हो गये ।लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
निकम ने तुरंत अदालत को बताया कि कसाब को जब घायल अवस्था मे अस्पताल ले जाया गया था ..तब उसने अपनी उम्र २१ साल बतायी थी।जेल रजिस्टर में भी उसने अपनी जन्मतारीख १३ सितंबर १९८७ लिखवायी थी।
जज ताहिलियानी ने भी पहली नजर में कसाब को बालिग माना।हालांकि निकम की अपील पर बाद में आशिफिकेशन टेस्ट करवाया गया। उसमें कसाब बालिग साबित हुआ। अच्छा हुआ जो सरकारी वकील ने उसकी उम्र पर ठप्पा लगवा लिया था वर्ना कसाब के वकील नाबालिग की नाम पर उसे कम से कम सजा देने रा पैतरा मुकदमें को और लंबा करता।
मुकदमें का छठवां दिन कसाब के वकीव अब्बास काजमी ने नई चाल चली । उन्होंने अदालत में कहा कि कसाब को अंग्रेजी और मराठी नही आती इसलिये उसे ऊर्दू में चार्जशीट दी जाये।उज्जवल निकम ने कहा कि ये मुकदमा टालने की चाल है । जज ने भी कहा कि मुझे नही लगता कि चार्जशीट आरोपी के लिये होती है । चारजशीट वकील के लिये होती है जिससे वो आरोपों को समझ सके । और जहां तक मै जानता हूं काजमी वर्षों से मुंबई में रहते हैं।
इतना कहकर जज ने ऊर्दू मे चार्जशीट की मांग खारिज कर दी।हमने भी राहत की सांस ली।
अबतक कसाब की दाढी मूछ सफाचट हो चुकी थी।उसके लंबे बाल बी छोटे कर दिये गये थे।अब कसाब कुछ -कुछ वैसा ही दिखने लगा था। जैसा कि २६ नवंबर की रात को दिख रहा था...वहशी।
मुकदमें के दसवें दिन तो कसाब अपने कौमी लिबास यानी कु पठानी सूट में आया । काजमा ने अभी तक हार नही मानी थी उन्होने ओशिफेकशन टेस्ट के लिये ली गई कसाब की एक्सरे प्लेट की सच्चाई पर सवाल उठाया।
ये भी कहा कि उस दिन उसका ब्लड प्रेशर बढा उआ था।उज्जवल निकम भला कहा पछे रहने वाले थे उन्होनें चुटकी ली।२६ नवंबर की रात ७२ लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद भी कसाब का ब्लडप्रेशर सामान्य था।
जारी.....
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