Monday, May 17, 2010





सज्जनता ने ली जान
(मंगलवार /18 मई 2010 / सौरभ पाण्डेय /नई दिल्ली )
ब्रिटिश जनता को शुरू से ही अपनी भलमनसाहत या सज्जनता पर गर्व रहा है और इसी वजह से उन्हें कई बार हानि भी हुई है. यह बात शायद हम भारतीयों के गले ना उतरे क्योंकि हम ब्रिटिश साम्राज्य के गुलाम रह चुके हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख की एक शोध इसी ओर ईशारा करती है.

इस शोध से जुडे प्रोफ्रेशर ब्रुनो फ्रे के अनुसार 1912 में हुए टाइटेनिक जहाज के हादसे में ब्रिटिश लोग सबसे अधिक संख्या में मारे गए थे क्योंकि वे अच्छे और सज्जन थे! दुर्घटना के समय उन्होनें महिलाओं और बच्चों को नौकाओं मे जाने दिया और खुद कतार मे खडे रहे लेकिन दूसरी तरफ अमेरिकी नागरिक धक्कामुक्की कर लाइफबोट मे सवार होते गए.

बताया जाता है कि जहाज के कप्तान भी अंतिम समय मे लोगों से कह रहे थे कि, धीरज रखिए ब्रिटिश बनिए, ब्रिटिश बनिए. अर्थात वे लोगों को भलमनसाहत दिखाने को कह रहे थे. यह शोध वाकई में चौंकाने वाली है.

एक तथ्य देखिए कि जब जहाज रवाना हुआ था तब उसमें 53% लोग ब्रिटिश थे, लेकिन अंत मे जो 706 लोग बचे उनमें काफी कम ब्रिटिश लोग थे. वह भी तब जब सारे स्टाफ कर्मचारी और लाइफ बोट चलाने वाले भी ब्रिटिश थे. वे चाहते तो अपने देश के लोगों की अधिक मदद कर सकते थे. लेकिन ब्रिटिश लोग अनुशासन में रहे और इसका घातक परिणाम भी भुगता.

परंतु डॉ. फ्रे की शोध पर अमेरिका ने कडी आपत्ति दर्ज की है. अमेरिका का मानना है कि यह बस खयाली पुलाव है और ब्रिटिश लोगों को सुसंस्कृत और बाकी लोगों को असभ्य बताने की चाल है.

(लेखक युवा सॉफ्टवेर प्रोफेशनल हैं. )

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