
आरुषि और निरुपमा आपस में दोस्त बन गए है
(मंगलवार /18 मई 2010 / मुंबई /मीडिया मंच )
कहते है की पृथ्वीलोक से विदा होने के बाद ऊपर एक और दुनिया बसती है जिसे हम स्वर्ग कहते हैं . कहा जाता है की बहुत पुण्य का काम करनेवालों को स्वर्ग नसीब होता है .लेकिन मेरे मानना है की जो इस दुनिया में जो प्यार का पाठ पढ़ा जाता स्वर्ग उसे हीं नसीब होता होगा . मुझे पूरा यकीन है की निरुपमा को भी स्वर्ग में जगह मिली होगी . आखिर जिस लड़की ने आजतक किसी के साथ ख़राब ब्यवहार नहीं किया हो उसे इस जालिम दुनिया से जाने के बाद भी ऊपर भी कैसे सज़ा मिल सकती है . कभी -कभी कल्पना कर सोचता हूँ की निरुपमा स्वर्गलोक गयी होगी तो जरुर वहां पर उसे आरुषि मिली होगी . वहीँ आरुषि जिसकी मौत की गुत्थी आजतक नहीं सुलझ पाई है . कभी आप ने सोचा है की जब वे दोनों मिले होंगें तो आपस में क्या बातें हुई होगी . मुझे लगता है की आरुषि ने निरुपमा को दीदी कह कर बुलाया होगा . फिर उनलोगों ने ढ़ेर सारी बातें की होगी . घर की ,परिवार की , अपने मम्मी -पापा की और अपने कत्ल की . आखिर आरुषि और निरुपमा को किसने मारा ..वो उनसे बेहतर कौन बता सकता हैं .लेकिन बात करने के दौरान जैसे ही कातिल का नाम आया होगा ..दोनों ने एक दुसरे की आखों में देखा होगा और दोनों फूट -फूट कर रोने लगें होंगें. आखिर उनदोनों के कत्ल में उनका नाम आया जिसकी गोद में उन्होंने अपना बचपन जिया . जिनकी उंगली पकड़ कर उन्होंने चलना सीखा . क्या जिन हाथों की थाप से लोरी सुनकर वे सोया करती थी ..वे हाथ उनका गला भी दबा सकते हैं . निरुपमा उदास हो जाती है . आरुषि ,,,निरुपमा से कहती है .. हमारी और आप की कहानी कितनी मिलती है . आरुषि ..निरुपमा से पूछती है " दीदी , जब मेरा कत्ल हुआ था तब आप के जेहन में क्या आया था . क्या आप को भी लगा था की मेरे पिता मेरा कातिल हो सकते हैं . निरुपमा बोलती है " नहीं , मुझे लगा की ,माता -पिता अपनी ही बच्चे के कातिल कैसे हो सकते हैं . निरुपमा ..आरुषि से पूछती है . आरुषि ..सच बताओ ..तुम्हारा कातिल कौन है . यह सवाल सुनते ही आरुषि की आखें नम हो जाती है . दीदी इस सवाल का जवाब मैं नहीं दे सकती . क्योकि कातिल को तो मैं जानती हूँ लेकिन मैं अपना कसूर नहीं जान पाई की आखिर किस कारण से उन्होंने ऐसा किया . आरुषि ..निरुपमा से भी पूछती है . दीदी .आप के साथ क्या हुआ . निरुपमा बोलती है ..आरुषि , तुम्हारी तरह मैं भी नहीं बता सकती की मेरा कातिल कौन हैं . फिर उनदोनों ने आपस में एक समझौता किया . आरुषि बोली "दीदी आज से हम इस बारें में कभी बात नहीं करेगें . " निरुपमा ने भी बोला ' हाँ , आरुषि आज के बाद हम यहाँ पर इस बारें में कभी बात नहीं करेगें" .हम चाहते है की पृथ्वीलोक पर हर रहनेवाला बच्चा अपने माता -पिता से उतना ही प्यार करें जितना हम करते थे . हमारी कहानी के बाद माता -पिता की रिश्ते पर जो दाग लगा है वो किसी और के साथ ना हो . i
क्योकि माता -पिता से प्यारा कोई नहीं हो सकता . फिर दोनों सो जाते हैं . एक ऐसी सुबह के इंतजार में जहाँ आज के बाद बच्चों और माता -पिता के रिश्ते कभी कलंकित ना हो .
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