
(सोमवार /31 मई 2010 / मुंबई /मीडिया मंच )
कहते की कभी - कभी बड़बोलापन लोगों पर भारी पड़ जाता है . कुछ ऐसा हुआ है जाने -माने लेखक चेतन भगत के साथ .कुछ दिनों पहले मुंबई में आयोजित एक समारोह में चेतन भगत सूत्रधार की भूमिका में थी . उन्होंने मंच पर बैठ सभी गणमान्य लोगों का परिचय कराते हुए हुए नामचीन लेखक , गीतकार और फ़िल्मकार गुलज़ार के बारें में कहा की उन्हें गुलज़ार साहब द्वारा लिखा गया गाना ' कजरारे ..कजरारे ..' बेहद पसंद हैं . चेतन भगत ने कहा की ख़ास कर इस गीत की पोएट्री उन्हें काफी पसंद है . फ़िर क्या था गुलज़ार साहब ने एक आदमी से माइक लेकर चेतन भगत से कहा की यदि उन्हें गीत की पोएट्री इतनी ही पसंद है तो इस गीत की दो पंक्तियाँ ' तेरी बातों में किमाम की खुशबू है , तेरा आना भी गर्मियों की लू है ' वे इसका मतलब समझा दे . गुलज़ार साहब की इस गुगली से चेतन भगत चारो खाने चित हो गए . चेतन को लगा की यार ये क्या कह कर फंस गया . बाद में गुलज़ार साहब ने चेतन को नसीहत देते हुए कहा की आदमी को उसी चीज़ के बारें में बोलना चाहिए जिसके बारें में उसे जानकारी हो . (सोर्स - एजेंसी )


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