


वर्धा में कंडोम के सरकारी विज्ञापन पर बवाल
(सोमवार /07 जून 2010 / नितिन राउत /वर्धा )
इन दिनों महात्मा गाँधी कि कर्मनगरी वर्धा में नेशनल रुरल हेल्थ मिशन और नेशनल एड्स कंट्रोल और्गनाइजेशन द्वारा कंडोम को लेकर जारी एक विज्ञापन , विवादों का केंद्र बनता जा रहा है . यह विज्ञापन शहर के कई जगहों पर लगाया गया है . इस विज्ञापन में जो सन्देश दिया जा रहा है वो हमारे देश कि सभ्यता और संस्कृति के अलावा कानून कि भी अवहलेना करता है .इस विज्ञापन का स्लोगन भी काफी अश्लील है . वहीँ सेवाग्राम बस स्टॉप पर लगाये गए एक विज्ञापन में एक युवक को दो महिलाओं के साथ दिखाते हुए कंडोम के प्रयोग कि सलाह दी गयी है .
इस सम्बन्ध में एड्स से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए काम करनेवालें पुलिस कर्मचारी पुन्दारिक सपकाले का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन समाज में एड्स कि बीमारी को रोकने के उद्देश्य से जारी किये जाते हैं .लेकिन देखा जाये तो इन विज्ञापनों से वेश्यावृति को बढ़ावा देने का सन्देश ज्यादा जाता हैं . इस सम्बन्ध में ज़िला कलक्टर और सिविल सर्जन कि भी राय अलग -अलग है . जिला कलक्टर अनूप यादव का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन समाज में चल रहे प्रैक्टिस को ध्यान में रख कर बनाये जाते हैं .
वहीं सिविल सर्जन रत्ना रौखंडे कहना है कि इस तरह के विज्ञापन सारे पहलूओं को ध्यान में रख कर बनाये जाते हैं. हालाँकि उन्होंने इन दिनों वर्धा शहर में चस्पा इस विज्ञापन के कांसेप्ट को लेकर अपनी असहमति जताई है . लेकिन इस बारें में
एमजीआईएमएस सेवाग्राम के डॉक्टर अनुपमा गुप्ता का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन का लोगों में जागरण फ़ैलाने ने कार्यक्रम से कोई लेना -देना नहीं होता है .उनका कहना है कि रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कंडोम ,गर्भनिरोधक गोली कि तरह ही कम कारगर होतें हैं . उनका कहना है कि इन विज्ञापनों का बचाव से ज्यादा हमारी सोच पर असर होता है . अनुपमा गुप्ता का भी मानना है कि यह विज्ञापन वेश्यावृति और मैरेज एक्ट के ख़िलाफ़ है .
इस बारें में जेएनयू के प्रोफ़ेसर चमन लाल ने प्रधानमंत्री को वेब मीडिया पर एक खुला पत्र लिख कर इस विज्ञापन के बारें में अपनी शिकायत दर्ज करायी है . लेकिन इस बारें में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है .
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