Thursday, July 1, 2010


फिल्म समीक्षा 'आई हेट लव स्टोरीज़ ' -- लव करें या हेट- सौरभ कुमार गुप्ता
(शुक्रवार /02 जुलाई 2010 /सौरभ कुमार गुप्ता /नई दिल्ली )

कोई अपनी फिल्म की जगह पुरानी लव स्टोरीज़ दिखाए तो क्या करें? कोई पुरानी हिट फिल्मों की कहानी में अपनी कहानी ढूँढने लगे तो क्या कहेंगे? भांजा अगर मामा की सफल फिल्म की कहानी उठा खुद हीरो बन जाये तो पसंद आएगा?

पिछले पंद्रह साल की अहम लव स्टोरीज़ को deconstruct करती, उनकी पैरोडी करती और उनको ही मनोरंजन का हथियार बनाती यह फिल्म कुछ हद तक असफल कोशिश है एक और लव स्टोरी को आपके सामने पेश करने की। लेकिन इस बार अच्छी बातों का जिक्र पहले।

पुरानी हिट प्रेम कहानियां, सरसों के खेत, राज और सिमरन का नया अवतार, समंदर किनारे का रोमांस, गाना-बजाना, वही अदाएं, वही अंदाज़, आज की जिंदगी और फिल्मों के ही जरिए प्यार की तलाश है यह फिल्म। दिलवाले दुल्हनिया, कुछ कुछ होता है, दिल चाहता है, मोहब्बतें, कभी अलविदा न कहना, हम तुम और वो सभी फिल्में जो पिछले डेढ़ दशक में आईं और हिट भी रहीं उन सभी के स्टाईल को इकठ्ठा कर अपनी कहानी में उन कहानियों की उलट सिचुएशन पैदा कर यह फिल्म एक प्रयास के रूप में ज्यादा नज़र आती है।

DDLJ का राज पंद्रह साल बाद आज की प्रेम कहानी में सिर्फ जे बनकर रह गया है। जे यानि इमरान यानि जयंत पांडे। सिमरन आज की वो लड़की है जो सालों से चली आ रही हिरोईन की उलट इमेज में सुपरफिट बैठती है। इमरान और सोनम ने आज के युवा का अपना किरदार इतनी सहजता से निभाया है कि लगता ही नहीं कि कोई एक्टिंग कर रहा हो। फिल्मी सीन्स को भी उसी सहजता और बेहद कुशलता के साथ सही जगह पर फिल्म में शामिल कर लिया गया है। फिल्म आपको कई जगह स्क्रिप्ट में छिपे रूप में मौजूद clever humour के कारण दिल खोलकर हंसने का मौका भी देती है।

फिल्म यह साबित करती है कि किस तरह लोगों की प्रेम कहानी में फिल्में एक अहम रोल अदा करती हैं, हमारा समाज उनसे किस तरह प्रभावित है। यह फिल्म यदि किसी पुरानी फिल्म को सबसे ज्यादा कॉपी करती है तो वह है इमरान के मामू आमिर खान की फिल्म 'दिल चाहता है'। फिल्म में करन जौहर के किरदार के रूप में फिल्म का डायरेक्टर का रोल है जो ऐसी ही लव स्टोरी बनाता है। टांग खींचने में निर्देशक पुनीत मल्होत्रा ने करन जौहर और संजय लीला भंसाली को नहीं बख्शा है।

फिल्म की लुक अच्छी है और अहम किरदारों के साथ-साथ साईड कलाकारों के किरदारों पर भी अच्छा ध्यान दिया गया है। रोचक बातों में यह भी शामिल है कि costumes की इस फिल्म में विशेष अहमियत है और निर्देशक ने कई बातों को कॉस्ट्यूम के ज़रिए भी बताया है। सच्चा प्यार करने वाले राज और सिमरन के कपड़ों का रंग हर सीन में एक सा होता है। इमरान और उसके दोस्तों की टी शर्ट पर पूरी फिल्म में अलग और रोचक graffiti पढने को मिलती हैं। उन सभी फिल्मी फॉर्मूलों का ज़िक्र जिनसे एक अच्छी लव स्टोरी बनती है उन सभी को एक साथ बेहतरीन तरीके से पिरोया गया है। बड़ी फिल्मों की उन सभी छोटी बातों को जोकि आमतौर पर मनोरंजन करती हैं उन सभी को चालाकी के साथ फिल्म का हिस्सा बनाया है। फिल्म की सबसे अच्छी बात सोनम कपूर और इमरान ही हैं।

अब रूख बुराईयों की ओर। कहानी किस ओर जाती है डायरेक्टर भूल जाते हैं, किस ओर जाकर नहीं जाती यह उन्हें याद नहीं रहता। कहानी सबको पता है, अंजाम की जानकारी सब को है पर इंतजार लंबा, बेमतलब और बोर करने वाला है। फिल्म पर पकड़ पहले हाफ में ढीली होते होते छूट ही जाती है। रोमांस, कॉमेडी, ट्रेजेडी कुछ भी कंसिस्टेंट नहीं है बल्कि टुकड़ों में है। म्यूजिक की बात हो तो यूं तो दो गाने हिट हैं लेकिन वो कहानी में कोई खास असर या कहानी से जुडाव पैदा नहीं कर पाते।

अच्छा पूरी फिल्म में हमारे युवा प्रेमियों की जोड़ी जंक फूड खाती है, हीरोईन रात को आईसक्रीम का डिब्बा खाली कर देती है, रोज़ बीयर पीना हीरो के लिए ज़रूरी है लेकिन इस सब का असर इनकी सेहत पर कभी नहीं दिखता। दोनों अमीर परिवारों से हैं इसलिए लव स्टोरी के लिए टाईम ही टाईम है और पैसों की तो परवाह नहीं। आई हेट लव स्टोरी एक पैरोडिकल एंटी फिल्म है जोकि रील स्टोरी होते हुए भी रीयल सी जान पड़ती है।

आखिर में नतीजा यह कि पिछले लगभग सवा एक महीने में बाक्स ऑफिस पर भारी भरकम, बड़े बजट और नामी कलाकारों की खराब फिल्मों के बाद आई है सोनम--इमरान की fresh जोड़ी की not-so fresh लव स्टोरी जिसे युवा फिल्मी मनोरंजन के लिहाज से बिना कोई बड़ी उम्मीद लगाए देखा जा सकता है। जब इंडस्ट्री में दस साल से मौजूद रितिक--अभिषेक निराश करने लगें तो 2010 के कलाकारों को क्यों न चांस दिया जाए!!!

(लेखक सौरभ कुमार गुप्ता दिल्ली में एक नेशनल न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं और मीडियामंच के लिए खासतौर पर समीक्षा करते हैं)

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