Monday, September 6, 2010





वर्धा में छात्र सड़क पर उतरे

(सोमवार /06 सितम्बर 2010 /वर्धा /मीडिया मंच )

२ सितंबर की वह काली रात वर्धा के विद्यार्थियों के मन में अब तक सदमे की तरह है, जब महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में हिंदी लेखिकाओं की तुलना “छिनाल” से करने वाले कुलपति श्री विभूतिनारायण राय ने अपने पास गुहार लगाने आए छात्रों को माँ-बहन की गालियाँ बकी, उन्हें डराने के लिए अपना रिवाल्वर हवा में लहराहा और अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए उन बेचारे असंतुष्ट छात्रों पर लाठियाँ बरसायी। कुलपति के इस बर्बरता में सी.पी.आई के पुराने आंदोलनधर्मी कार्यकर्ता व रंगकर्मी श्री राकेश श्रीवास्तव ने भी बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया। श्री राकेश आजकल वर्धा विश्वविद्यालय में विशेष कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। राकेश के अलावा छात्र-विरोधी इस गतिविधि में शामिल थे कैलाश खामरे। खामरे महामहिम राष्ट्रपति के पति श्री देविसिंह शेखावत के करीबी हैं और वर्धा में कुलसचिव की भूमिका निभा रहे हैं।

क्षुब्द छात्र-छात्राएँ अगले दिन से ही कुलपति के इस कृत्य की भर्त्सना करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिरोध कर रहे हैं। विद्यार्थियों की माँग है कि कुलपति एक आम सभा आयोजित करके पीड़ित छात्रों से माफी माँगें। इसके अलावा छात्र-छात्राओं ने एक लिखित गुहार महामहिम राष्ट्रपति के पास भी लगाई है कि वो इस महिला व लोकतंत्र विरोधी व्यक्ति को तत्कल बर्खास्त करें।

ज्ञात हो कि इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई मिथ्या प्रचार किए। जैसे कि प्रेस को विज्ञप्ति देकर सफाई दी गई कि बिजली-पानी-भोजन को लेकर छात्रों के बीच कोई असंतोष नहीं था। यह विज्ञप्ति सरासर मुद्दे को डायवर्ट करने का मामला है। मामला छात्रों के असंतोष से बहुत आगे निकल चुका है और चिंता का मुख्य विषय है विद्यार्थियों पर लाठी चार्ज़, उनके साथ गाली-गलौज़ करना और रिवालवर लहरा कर हौआ बनाना। इसके विरोध के सिलसिले में विद्यार्थियों ने पहले दिन विश्वविद्यालय के मुख्यद्वार और दूसरे दिन गांधी के ऐतिहसिक सेवग्राम आश्रम में पर धरना दिया।

छात्र-छात्राओं ने अपने प्रतिरोध के चौथे दिन एक कतार बना कर पूरे वर्धा शहर का परिक्रमा किया। सौ लोगों के इस मौन यात्रा में आहत छात्र-छात्राओं ने पोस्टर व बैनर पर लिख कर अपने गुस्से को व्यक्त किया। परिसर से अपनी यह यात्रा शुरु कर छात्र-छात्राएँ पंजाब कॉलोनी के रास्ते, आर्वी नाका और बजाज चौक होते हुए अंबेडकर पुतला चौराहे तक पहुँचे। यहाँ पहुँच कर विद्यार्थियों ने यह संदेश दिया कि अपने चार दिनों के प्रतिरोध में हमने कुलपति को यह बता दिया है कि हम उनके निशंसता को बर्दाश्त करने वाले नहीं है। विद्यार्थियों ने यह संकल्प भी लिया कि यदि प्रशासन फिर से कोई विद्यार्थी विरोधी कार्रवाई करता है तो वे अपनी अखंड एकता का परिचय देते अपना प्रतिरोध बड़े पैमाने पर फिर से जारी करेंगे।

(वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के एक छात्र द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित )

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