Monday, September 27, 2010


सरकार का लाडला जेलर
(मंगलवार /२८ सितम्बर २०१०/जीतेन्द्र दीक्षित /मुंबई )
मुंबई की आर्थर रोड जेल में हुए गैंगवार ने फिर एक बार जेल प्रशासन पर सवाल उठा दिये हैं। इन सवालों के घेरे में हैं जेल सुपिरिंटेंडेंट राजेंद्र धामणे। धामणे के कार्यकाल में गैंगवार की ये दूसरी घटना है, लेकिन अपने राजनैतिक रिश्तों के चलते वे हर बार कार्रवाई से बच जाते हैं। मुंबई आने से पहले धामणे का पुणे के यरवदा जेल और ठाणे में कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है।
मुंबई के आर्थर रोड जेल में फिरसे हुआ गैंगवार और फिरसे बेपर्दा हो गया यहां का जेल प्रशासन। डॉन अबू सलेम के गुर्गे मेंहदी हसन पर जिस तरह से पांडव पुत्र गैंग के सदस्यों ने हमला किया उससे यही बात सामने आती है कि न तो कैदियों में जेल प्रशासन का कोई डर है और न ही कैदियों को आपस में भिडने से रोकने के लिये कोई पुख्ता इंतजाम। जेल में इस बदइंतजामी के लिये जो शख्स जिम्मेदार है वो है राजेंद्र धामणे, मुंबई की आर्थर रोड जेल का सुपिरिंटेंडेंट।
ये कोई पहली बार नहीं है कि सुपिरिंटेंडेंट राजेंद्र धामणे के कार्यकाल में इस तरह की कोई वारदात हुई हो। धामणे पहले भी कई बार विवादों में फंस चुके हैं...लेकिन बताया जाता है कि वे कुछ राजनेताओं के लाडले हैं और इसीलिये हर बार बच निकलते हैं।
जब फिल्मस्टार संजय दत्त आर्मस एक्ट में दोषी ठहराये जाने के बाद जमानत पर रिहा होकर पुणे की यरवदा जेल से बाहर निकल रहे थे उस वक्त जेल के सिपाहियों में एक फिल्मस्टार के साथ हाथ मिलाते और गले मिलते तस्वीरे खिंचवाने की होड लग गई। वे ये तक भूल गये कि संजय दत्त उन्ही की जेल के सजायाफ्ता मुजरिम हैं।ये सबकुछ हो रहा था राजेंद्र धामणे के कार्यकाल में जो कि उस वक्त यरवदा जेल के सुपिरिंटेंडेंट थे। जब मीडिया ने ये खबर दिखाई तो सरकार ने सिपाहियों को तो बर्खास्त कर दिया, लेकिन धामणे अपने सियासी रसूख के चलते कार्रवाई से बच गये।
इससे पहले साल 2002 में धामणे जब ठाणे जेल के सुपिरिटेंडेंट थे तब भी उनका स्टार प्रेम नौकरी को दरकिनार कर देखने मिला। धामणे ने कार एक्सीडैंट मामले में जेल से रिहा हो रहे सलमान खान को मीडिया के कैमरों से बचाने के लिये खुद सलमान के बॉडीगार्ड का काम किया और विशेष गेट से गुपचुप सलमान को बाहर निकाला। इसी साल जुलाई में भी आर्थर रोड जेल में गैंगवार हुआ था जिसमें अबू सलेम को अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गे मुस्ताफ दोसा ने घायल कर दिया। उस वक्त भी धामणे की लापरवाही सामने आई थी।
मुंबई की आर्थर रोड जेल देश की संवेदनशील जेलों में से एक है। यहां तमाम बडे गैंगस्टरों के साथ साथ मुंबई हमले का आरोपी अजमल आमिर कसाब भी कैद है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि धामणे जैसे लापरवाह और विवादित अफसर को आर्थर रोड जेल की बागडोर दिया जाना कितना सुरक्षित है।

(लेखक एक नामचीन नेशनल न्यूज़ चैनल में मुंबई ब्यूरो चीफ़ हैं . यह लेख हमनें उनके ब्लॉग से साभार लिया है . )

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