Tuesday, October 5, 2010
हौसले की ज़िन्दगी
(मंगलवार /०५ अक्तूबर २०१० / आसिफ मुर्सल /सांगली )
आज कहानी ..एक शख्स की जिसने ज़िन्दगी में कभी हार नहीं मानी. आमतौर से हम देखते है की कई लोग हाथ पैर से सक्षम होते हुए भी अपनी किस्मत का रोना रोते रहते हैं . उन्हें अपनी ज़िन्दगी से कई शिकायतें रहती है . लेकिन महाराष्ट्र के सांगली जिले में रह्नेवालें मेहबूब मियां ने अपनी मेहनत से एक अलग मिसाल कायम कर रहे हैं . 15 साल पहले हुए एक हादसे में मेहबूब महात को अपनें दोनों हाथ गवानें पड़ें . लेकिन मेहबूब ने हिम्मत नहीं हारी . . उन्होंने अपनी ज़िन्दगी की तक़दीर बिना हाथ के ही लिखनें का फ़ैसला किया . मेहबूब महात के इस मिशन में उन्हें साथ मिला अपनी बहन का . जिसकी मदद से उन्होंने एक पान का टेहला शुरू किया और अपनी ख़ुद की रोटी कमाने की लड़ाई शुरू की ! आज वे हाथ न होते हुए हर काम अपनी बल पर आसानी से करते हैं .और अपने इस छोटे से पान की दुकान से अपनें पुरे घर का खर्चा चलाते हैं .
(सांगली से आसिफ मुर्सल की रिपोर्ट )
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