Wednesday, February 9, 2011
प्रभात खबर का भागलपुर एडिशन लांच
(भागलपुर /मीडिया मंच )
प्रभात खबर ने आज से भागलपुर में भी अपना एडिशन लांच कर दिया है . प्रभात खबर का यह नौवां एडिशन है . इस मौके इस समाचार पत्र समूह के प्रधान संपादक हरिवंश जी ने पाठकों के नाम एक पत्र लिखा है .
आज (दिनांक 10.2.2011) से प्रभात खबर भागलपुर से छपने लगा है. इस तरह बिहार में पटना, मुजफ्फ़रपुर और भागलपुर से प्रभात खबर प्रकाशित होने लगा है.
भागलपुर से छपनेवाला (शहर संस्करण) 20 पेजों का संपूर्ण रंगीन अखबार होने का पहला गौरव भी, भागलपुर से छपनेवाले प्रभात खबर को है. बिहार और झारखंड को मिला दें, तो सात जगहों (पटना, मुजफ्फ़रपुर, भागलपुर, रांची, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर) से प्रकाशित होनेवाला अखबार भी प्रभात खबर है.
इन दो राज्यों से इतने (सात) संस्करण किसी अन्य अखबार के नहीं छप रहे. इससे और आगे बढ़ें, तो प्रभात खबर का फ़ोकस एरिया है, देश के तीन पूर्वी राज्य. इस तरह बंगाल से छपनेवाले प्रभात खबर के दो संस्करणों (कोलकाता और सिलीगु़ड़ी) को जोड़ दें, तो पूर्वी भारत में नौ जगहों (पटना, मुजफ्फ़रपुर, भागलपुर, रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, कोलकाता और सिलीगुड़ी) और तीन राज्यों (बिहार, झारखंड और बंगाल) से छपनेवाला कोई अन्य अखबार नहीं है.
इतना ही नहीं, जब बड़ी पूंजी की आक्रामकता के बल कुछेक बड़े घराने, छोटे अखबारों को अपनी पूंजी के बल बंद कराते या कमजोर कराते दिग्विजयी रथ पर निकले हों, तब अकेले, अत्यंत कम पूंजी (अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले) के बल बढ़ने-पसरने और फ़ैलनेवाला अखबार भी प्रभात खबर ही है. देश में कहीं और हिंदी के तीन सबसे बड़े घरानों (लगभग 5000 करोड़ की या इससे अधिक की कंपनियां) के मुकाबले एक जगह, एक साथ कोई मिट्टी का अखबार प्रतिस्पर्धा में नहीं है.
प्रभात खबर रांची में जनमा. बड़े अखबार, बड़े महानगरों या संपन्न राज्यों से बिहार-झारखंड में आ रहे हैं या आये हैं. पर अविभाजित बिहार के रांची से जनमा प्रभात खबर (14 अगस्त, 1984) अपनी मिट्टी से निकल कर अपने बूते फ़ैल-पसर रहा है. कैसे और क्यों? आज रोजाना झारखंड में लगभग पौने चार लाख प्रभात खबर की प्रतियां बिक रही हैं.
अयोध्या प्रकरण पर जिस दिन फ़ैसला आया, बाजार की मांग के अनुसार प्रभात खबर पांच लाख से अधिक बिका. बिहार में पटना और मुजफ्फ़रपुर में छप कर रोज 1.60 लाख से अधिक प्रतियां बिकने लगी हैं. आज पहले दिन ही भागलपुर में प्रभात खबर की सबसे अधिक प्रतियां बिकी हैं. आप पाठकों के बल, हॉकरों के बल और विज्ञापनदाताओं के बल.
जब बड़ी-बड़ी पूंजीवाले कई अखबार घराने इस स्पर्धा में नहीं टिक पाये या गुजरे दो दशकों में शुरू होकर नहीं ठहर सके, तब प्रभात खबर कैसे चला, चल रहा है या चलेगा? एक भिन्न पत्रकारिता अपना कर, अलग कार्य संस्कृति विकसित कर. ऐसे ही मुद्दों पर प्रभात खबर में एक लंबी चर्चा हमने आपस में की, पर हम आप पाठकों के लिए उस पूरे संवाद (सपने, संघर्ष और चुनौतियां) को छाप रहे हैं, ताकि आप भी पढ़ें, सुझाव दें और हमारे अंदरूनी तथ्यों के आप हिस्सेदार बनें, क्योंकि आप पाठकों को जोड़ कर ही प्रभात खबर का परिवार पूरा होता है.
आज भागलपुर से नौवें संस्करण की शुरुआत के अवसर पर हम प्रभात खबर के अंदरूनी संसार (कार्य संस्कृति, बदलाव और चुनौतियां) से आपको जोड़ रहे हैं. आपके सहयोग, मार्गदर्शन और सुझावों के लिए.
(साभार - प्रभात खबर )
मीडिया मंच की टीम इस कामयाबी के लिए प्रभात खबर की पूरी टीम को ढेर सारी शुभकामना देती है .
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