Thursday, September 1, 2011


पत्रकार बना ऑटो ड्राइवर
(सरफराज सैफ़ी/नोएडा )

रविवार का दिन मेरी कार सर्विसिंग के लिये गई थी सोंचा आटो में बैठकर अपने दफ्तर चला जाउं घर से निकलकर कालिंदी कुंज रोड पर पहुंचा। चिलचिलाती धूप में काफी देर तक खड़ा रहा उस वक्त तकरीबन 12 बजे थे। काफी देर के बाद एक के बाद एक कई आटो आये लेकिन पैसा ज्यादा मांगने की वजह से बात नहीं बन पाई।

कोई भी मीटर से चलने को तैयार नहीं हो रहा था क्योकि मेरा आफिस नोएडा सैक्टर 63 में है। ऑटो वाले दूर होने का बहाना बनाकर चल पड़े। काफी देर की जद्दोजहद के बाद 12.30 के करीब एक ऑटो वाला आया। ऑटो ड्राइवर देखने में बढिया और पढ़ा - लिखा समझदार लग रहा था कपड़े भी उसने सलीकेदार पहन रखे थे। उसने ऑटो रोकते हुए पूछा -कहाँ जाना है आपको सर मैने कहा नोएडा सेक्टर 63 के एच ब्लाक में जाना है। उसने कहा ठीक है चलेंगे पर 130 रूपये लगेंगे. ऑटो वालों से झिक झिककर अब मैं इस कदर आजिज आ चुका था कि उसकी बात मानने में ही अपनी भलाई समझ फिर चैनल के दफ्तर पहुँचने में देर भी हो रही थ वैसे भी दूसरे ऑटो वालों से कम पैसे ही वह मांग था लेकिन एक बार दिमाग में जरूर आयी कि एक पत्रकार होने के बावजूद मुझे इतनी परेशानी झेलनी पड़ रही है. आम लोगों को कितनी दिक्कत होती होगी तमाम कोशिशों के बावजूद ऑटो चालकों की मनमानी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुई है ऑटो में बैठा ही था कि इतने में मेरे मोबाइल फोन की घंटी बजी. मैं बातें करने लगा. मेरी बात जैसे ही खत्म हुई तो आटो ड्राईवर ने पूछा - "आप क्या करते हो सर?"
मैने कहा पढता हूं ऑटो चालक ने तपाक से पूछा - फिर आप सेक्टर 63 में क्या करने जा रहे हो?
यह कहते हुए उसके चेहेरे पर व्यंग्य की एक हल्की रेखा मैं साफ़ - साफ़ देख रहा था कुछ देर की चुप्पी के बाद ऑटो ड्राइवर ने कहा - सरफराज सैफी आप झूठ बोल रहे हैं आप न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल के दफ्तर में जा रहे हैं कुछ हैरानी और परेशानी से मैं उसकी तरफ देखने लगा। मुझे लगा कि इसे मेरे नाम और काम के बारे में कैसे पता है इधर-उधर की बाते करने के काफी देर बाद उसने अपने बारे में जो बताया उसे सुनकर मेरे आश्चर्य की सीमा न रही। दरअसल वो लड़का (सोनू - बदला हुआ नाम) बिहार के किसी इलाके का रहने वाला है। यूपीएससी की तैयारी के मकसद से दिल्ली पहुंचा था। आईएस बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक कारणों से यूपीएससी की तैयारी अधूरी छोड़कर उसने पत्रकारिता की पढ़ाई की। फिर कई सालों तक न्यूज चैनलों में काम किया यहां तक तो सब ठीक था। बाद में चैनल के दफ्तर में उसके साथ जो खेमेबाजी हुई, उसने उसे एक पत्रकार से ऑटो ड्राइवर बनने पर मजबूर कर दिया चैनल के अंदर की खेमेबाजी से तंग आकर सोनू ने पत्रकारिता छोड़ दी। काफी दिनों तक परेशान रहा कि करे तो क्या करे। घरवालों को भी नहीं बताया लेकिन रोजी -रोटी के लिए कुछ न कुछ तो करना ही था सो उसने ऑटो चलाने की सोंची किसी जानकार से तीन सौ रूपये रोज के किराए पर ऑटो चलाना शुरू किया और यूँ सोनू पत्रकार बन गया सोनू ऑटो ड्राइवर लेकिन सोनू को अब इस काम से किसी छोटेपन का एहसास नहीं होता. कमाई भी अच्छी हो जाती है। सोनू प्रतिदिन कम-से-कम 1200 से 1500 रुपए तक ऑटो चलाकर कम लेता है यानी महीने के करीब 36000 हजार से 45000 हजार रुपए महीना। यह सब बताने के बाद ऑटो में ख़ामोशी सी पसर जाती है। सोनू ऑटो चलाते हुए कुछ खो सा जाता है. मानो अतीत में अपनी परछाइयों को ढूंढ रहा हो मेरे टोकने के बाद उसने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए उन पत्रकारों को कोसना शुरू कर दिया जिसकी वजह से उसे चैनल की नौकरी छोड़नी पड़ी।
सोनू अपनी आपबीती बताते हुए कहते हैं की जो होता है अच्छे के लिए होता है मेरी नौकरी जिस पत्रकार की वजह से गयी, मैं उस पत्रकार से अब ज्यादा कमाता हूँ और उससे ज्यादा आराम से रहता हूं। भला हो उस महान प्रोड्यूसर साहब का जिसने मुझे चैनल से बाहर का रास्ता दिखाया यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि उस नरक से निकाला. वो महीने के आखिर में दस बार पैसे के लिये सोचता होगा पर मैं हर रोज गड्ढा खोदता हूं हर दिन पानी निकालता हूं। आज मेरे पास अपने दो ऑटो हैं जो किराये पर चलते हैं। कभी-कभी।

(लेखक सरफराज सैफ़ी न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल में बतौर एंकर कार्यरत हैं . )

साभार - न्यूज़ एक्सप्रेस वेबसाइट

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