
एक दिन टीवी न्यूज़ चैनल देखते देखते जी न्यूज़ उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड पर जाकर नजर टिक गयी .चर्चा इस बात को लेकर चल रही थी आज कल हिन्दी में छप रही कम किताबो के लिए जिम्मेदार कौन है ..इस चर्चा में उत्तर प्रदेश के एक जाने माने लेखक भी शामिल थे .एक.निजी टीवी न्यूज़ चैनल पर इस विषय को लेकर हो रही चर्चा को देख कर मै चौक गया ..लगा कही मै सरकारी न्यूज़ चैनल तो नहीं देख रहा हु ...तो अब आते है मुदे पर ..लेखक महोदय का साफ़ तौर से कहना था की हिन्दी में छप रही कम किताबो के लिए प्रकाशक जिम्मेदार है ....चर्चा के दौरान एंकर महोदय द्वारा बार बार जी ....जी ...कहना कानो में कड़वाहट घोल रही थी ..लेकिन जब एंकर महोदय ने लेखक महोदय से पूछा की आजकल कई हिन्दी में ब्लोगेर्स आ गए है ..क्या आप को इनसे कुछ उम्मीदे है ...ब्लोगेर्स के नाम पर पहले तो लेखक महोदय के जवाब से ऐसा लगा की उन्हें हिन्दी ब्लोगेर्स के बारे में ज्यादा नहीं पता है ॥उसके बाद उन्होंने कहा की इन ब्लोगेर्स से उन्हें कुछ उम्मीद नहीं है ।उनकी इस बात को सुन मुझे लगा की हम हिन्दी ब्लोगेर्स की जिम्मेदारी बढ़ गयी है ..मुझे भी लगा की अब तक मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा जो याद करने लायक हो ..जी हां हिन्दी ब्लोगिंग के नाम पर इन दिनों ज्यादातर कचरा परोसा जा रहा है और..इसमें मै भी शामिल हु ..लेकिन अब मुझे लगता है की हम हिन्दी ब्लोगेर्स को इस पर ध्यान देना होगा .हमारे देश का साहित्य इतना समृद्ध है की उस परम्परा को बनाये रखने के लिए हम सब को मिलकर सार्थक प्रयास करना होगा ..ताकि हमे सार्थक विषयो पर अच्छे पोस्ट पढने को मिल सके .
लतिकेश
मुंबई


6 comments:
सही कहते हैं आप ...
विचारणीय पोस्ट लिखी है।
बड़ी उम्दा बात कही है आपने!
बात तो गंभीर है
गंभीर बात है
agar sach jananaa chate ho to ek baar jiteji jarur marnaa chahiye
par sach bada kadwa hota hai
agar is kadvaahat ke saath ji sako to thik varnaa us jhuth ke khayaali pulav me hi jivan bita lena chahiye
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