आज मेरे पोस्ट के टाइटल को देख आप ये मत सोचिएगा की मै इतनी जल्दी मर जाऊंगा ..लेकिन एक दिन सपने में मैंने अपनी शव यात्रा देखी ...शव यात्रा देख कर मन दुखी हो गया ..फिर भी आप जानना चाहते है तो बताता हु ...मेरे मरने की खबर जैसे ही फैली ....मेरे मोबाइल की घंटी टनाटन बजाने लगी .शायद .लोग उम्मीद कर रहे थे की मै अपने मरने की खबर को भी खुद कन्फर्म कर दू . भाई ये तो ज्यादती है जब मैंने फ़ोन नही उठाया तो मेरे करीबी मित्रो को फ़ोन जाने लगा .. करीबी मित्रो ने मेरी पत्नी से कन्फर्म करने के बाद मेरे मरने की खबर को जल्दी से bhadas4media.com को बता दिया ..ताकि यह शुभ समाचार जल्दी से जल्दी लोगो तक पहुंचे ..मै विस्मित होकर यह सब देख रहा था .. मीडिया में मरनेवाले पत्रकारों की कितनी चर्चा होगी यह उसके कद पर निर्भर करता है . मेरी औकाद छोटी है ऐसे में मुझे करीब से जानने वालो पत्रकारों में ही इस बात की चर्चा हुई ..जो मेरे करीबी है ..वे मेरे मरने की खबर पाने के बाद भी अपनी स्टोरी पूरा करने में लगे है .कुछ लोग जान कर अपनी स्टोरी देर से पूरा कर रहे ताकि वे बहाना बना सके की उन्हें मेरी शव यात्रा में जाने के समय नही मिला ..कुछ लोग जो मुझे दिल से चाहते है वे इस जरुर कोशिश में है की वे मेरी शव यात्रा में शामिल हो सके . इसी बीच मेरा कोई दोस्त अपनी पत्नी के पास फ़ोन करता है की आज मै घर देर से आऊंगा .आज अपना एक पत्रकार टपक गया है मुझे उसकी अंतिम यात्रा में जाना है ..लेकिन उसकी पत्नी make up कर फिल्म जाने की तैयारी में है . वो कहती है , मुवा लतिकेश शर्मा ने कुछ किया था तुम्हारे लिए .. मेरा दोस्त अपनी यादाशत पर जोर डालता है ..लेकिन उसे मेरे सारे अच्छे काम याद नहीं आते और वो भी कहता है की साले ने मेरे लिए तो कुछ किया ही नहीं था मै उसकी शव यात्रा में क्यों जाऊ . यहाँ अचरज की बात यह थी की जिनकी मैंने मदद की वे मुझे कोस रहे थे और जिनको मै नहीं जानता था वे मेरी तारीफ कर रहे थे.. ....अच्छा पत्रकार था .....बेचारा मर गया. वही जब अंतिम यात्रा निकली ..तो मेरे परिवार के साथ वे चंद पत्रकार ही मेरी अंतिम यात्रा में शामिल थे जिनकी मैंने कोई मदद नहीं की थी .तब मुझे अहसास हुआ की जिनकी आप मदद करेंगे उनके पास आप की शव यात्रा में शामिल होने के लिए टाइम नही होगा । इस सत्य से सामना होते ही अचानक मेरी नींद खुली मैंने अपने आप को जीवित पाया ..मेरे लिए निजी तौर पर यह एक ब्रेकिंग न्यूज़ था ..अब सोचा है की ,मरने से पहले कम कम से चार ऐसे दोस्त बना लू जो मेरी अंतिम यात्रा में शरीक हो सके ।
मेरी दुआ है की इस पोस्ट को पढने वाले सौ साल जीये लेकिन यदि हकीकत से आँखे मिलाना चाहते हो तो एक बार सपने में अपनी शव यात्रा जरुर देखना ...डरने की बात नहीं है ..ऐसा कहा जाता है की अपने मरने की खबर सपने में देखने से उम्र और भी बढ़ जाती है .
लतिकेश
मुंबई
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7 comments:
वाह भाई लातिकेश लाजवाब मरण कथा
लो जी अपनी उम्र तो आपने सौ साल कर दी तब तक अमर होने की दवा वैग्यानिक खोज ही रहे हैं इस लिये आप निश्चिन्त रहें हम हैं ना
लो जी अपनी उम्र तो आपने सौ साल कर दी तब तक अमर होने की दवा वैग्यानिक खोज ही रहे हैं इस लिये आप निश्चिन्त रहें हम हैं ना
nirmala ji ka kathan bilkul sahi hai........chinta na karein aisi naubat shayad aaye hi na.
अब सोते हैं. :)
इंसान जब अपने आपको सपने में इस तरह मरा हुआ देखता है तो वो कहीं न कहीं अपने आपको असल जिंदगी में मरा हुआ महसूस करता है... क्योकि आदमी जो कहता है... आदमी जो सुनता है... जिंदगी भर वो बातें उसका पीछा करती है... आप काफी उदास लग रहे है... शायद कोई दर्द है सीने में... जिंदगी में खुश रहो... क्या पता कल जिंदगी हो ना हो.....
लोग बताते है की जो ऐसे सपने देखता है उसकी उम्र बढ़ती है, कितना सच है पता नहीं !
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