Monday, May 3, 2010

हिंदी पत्रकारिता जगत के पुरोधा स्वर्गीय राजेंद्र माथुर पर राजेश बादल की लघु फिल्म






(सोमवार /03 मई 2010 / इंदौर /मीडिया मंच )
हिंदी पत्रकारिता जगत को शिखर तक ले जाने में अपना अतुलनीय योगदान देनेवालें स्वर्गीय राजेंद्र माथुर से शायद ही कोई जानकार पत्रकार वाकिफ़ ना हो . लेकिन जहाँ तक नयी पीढ़ी के पत्रकारों की बात है वे अपने फास्ट फ़ूड खाने की तरह पत्रकारिता के गुर भी बहुत जल्द सीख लेना चाहते हैं और शायद यही वजह है की आज के दौर के पत्रकारों को राजेंद्र माथुर जी के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है .
यही बात राजेंद्र माथुर के शिष्य और जाने- माने पत्रकार राजेश बादल को पिछले कुछ वर्षों से कचोट रही थी .ऐसे में उन्होंने सोचा की क्यों ना राजेंद्र माथुर पर एक लघु फ़िल्म बनायीं जाएँ .और यही से शुरुआत हुई ..राजेंद्र माथुर पर एक लघु फ़िल्म बनाने की योजना की .भाषाई पत्रकारिता महोत्सव के दौरान इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित इस फिल्म के पहले शो के मौके पर राजेश बादल ने इस फ़िल्म से जुड़े हुए अपने अनुभवों को मीडिया के लोगों के साथ शेयर किया . राजेश बादल ने बताया की फ़िल्म बनाने की योजना तो उन्होंने बना ली लेकिन राजेद्र माथुर जी पर उपलब्ध विजुअल्स और उनके इंटरव्यू को प्राप्त करना आसान काम नहीं था . कई बार उन्हें लगा की यह फ़िल्म नहीं बन पायेगी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. कई जगहों का भ्रमण किया . कई लोगों से मिलें . बहुत साल पहले पहले बीबीसी रेडियो द्वारा राजेंद्र माथुर जी का किये गए इंटरव्यू स को प्राप्त करने के लिए उन्होंने बीबीसी से लगातार संपर्क बनाये रखा . किसी तरह कुछ सामग्री जुटाने के बाद इस फिल्म को एडिट करने का सिलसिला शुरू हुआ . राजेश बादल बताते है की हर बार फिल्म एडिट होने के बाद जब वे उसे देखते थे तो उसमें उन्हें कमी दिखाई पड़ती थी . ऐसे में यह फ़िल्म चार बार एडिट हुई और फिर उसकी स्क्रिप्ट भी नए सिरे से लिखी गयी . राजेश बादल बताते है की बार -बार कांसेप्ट में हो रहें बदलाव पर उनके वीडियो एडिटर ने कहा की इस तरह से आपको यह फ़िल्म पूरी करने में 10 साल लग जायेगें . . राजेश बादल जी को उनके वीडियो एडिटर की यह बात सही लगी और उन्होंने आख़िरकार चौथी बार एडिट करने के बाद इस फ़िल्म को लोगों के समक्ष लाने का फैसला किया .
हालाँकि राजेश बादल का अब भी मानना है की राजेंद्र माथुर जैसे विराट ब्यक्तिव की कहानी को 30 मिनट की फ़िल्म में समेटा नहीं जा सकता . इसलिए उन्होंने राजेंद्र माथुर पर लघु फिल्मों की एक सीरिज़ बनाने का फ़ैसला किया है . उन्होंने लोगों से भी गुज़ारिश की है की यदि उनके पास राजेंद्र माथुर जी से सम्बंधित किसी भी तरह की सामग्री उनके पास है तो वे इसे उपलब्ध करवाएं . ताकि राजेंद्र माथुर जी पर एक एक सम्पूर्ण फ़िल्म का निर्माण किया जा सके .
मीडिया से बात करने के दौरान राजेंद्र माथुर जी को याद कर राजेश बादल काफी भावुक हो गएँ थे .
राजेंद्र माथुर जी पर बनाये गएँ इस लघु फ़िल्म का शीर्षक ' कलम के महानायक .. राजेंद्र माथुर' है .
इस फ़िल्म के प्रीमियर के मौके दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक श्रवण गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे .
इस फ़िल्म का प्रीमियर भाषाई पत्रकारिता महोत्सव के आयोजन स्थल की जगह इंदौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागार में किया गया .

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