
ज़रूर देखें 'तेरे बिन लादेन'- सौरभ कुमार गुप्ता
(शनिवार/ 17 जुलाई 2010 / सौरभ कुमार गुप्ता /नई दिल्ली )
इस बार नतीजा पहले रिव्यू बाद में। तेरे बिन लादेन को ज़रूर देखें बस। इस हफ्ते अगर कोई फिल्म देखनी है तो आपकी लिस्ट में 'तेरे बिन लादेन का 'नाम होना चाहिए। साल शुरू होने के पूरे साढ़े छ महीने बाद अगर बिना किसी बड़े सितारे के आपका कोई दो घंटे मनोरंजन कर देता है तो पैसे पूरी तरह वसूल मानिए। फिल्म की कहानी लिख भी दूं तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। नंबरिंग से लेकर अंत तक फिल्म बांधे रखती है, हंसाती है, फिर और हंसाती है, सिस्टम पर ताने मारती है, नए किरदार गढ़ती है और खत्म हो जाती है। आप घर चले आते हैं और किरदार ऐसे कि याद रह जाते हैं।
ओसामा के किरदार में आपको ओसामा नहीं बल्कि नूरा ही याद रहेगा। आपको ऐसा बिल्कुल नहीं लगेगा कि ओसामा को नाम को भुनाने के लिए फिल्म बनाई गई है। पूरी तरह ओसामा से जुड़ी यह फिल्म उसकी नहीं, उस पर नहीं। यह दर्शक की फिल्म है, उन किरदारों की फिल्म है जो लगता ही नहीं कि कोई कहानी कह रहे हों। ऐसा लगता है कि जैसे सहजता के साथ आज के हालात हमारे सामने परोस दिए गए हैं।
क्यों न देखें वो फिल्म जो थोड़ा सहज होकर हंसने का मौका दे। युवा कलाकारों को प्रतिभा दिखाने का ज़रिया दे। समाज को आईना दिखाए। हकीकत के थोड़ा और करीब ले जाए। आपको गुदगुदाए, नूरा बने ओसामा का न चाहते हुए भी दीवाना बनाए और सबसे बड़ी बात जेब नहीं दिमाग को हल्का करे।
किरदार ऐसे जो कहीं देखे सुने लगेंगे। फिल्म गुलाल के पीयूश मिश्रा, पाकिस्तानी गायक अली ज़फर, हमलोग सीरियल की बड़की सीमा भार्गव, एमटीवी के रघू की पत्नी सुगंधा गर्ग सभी ने ऐसा रोल किया है जो उन पर फिट बैठता है। फिल्म न केवल देखें बल्कि औरों को भी देखने के लिए प्रेरित इसलिए करें क्योंकि दोस्तों और बॉलीवुड वालों का भी भला इसी में हैं कि कुछ हिट फिल्मों की बरसात हो।
पूरी तरह हिंदुस्तानी होते हुए भी फिल्म ऐसा इफैक्ट पैदा करती है कि जैसे पूरी तरह पाकिस्तान में ही फिल्माई गई है। पाकिस्तान में मौजूद छोटी छोटी बातों से इस तरह हंसाने का प्रयोग किया है कि न तो वो फूहड़ लगता है और न ही किसी को ठेस पहुंचाता है।
और हां, फिल्म में आप जहां सबसे ज्यादा हंसेंगे वो सीन किसी नूरा, ओसामा या अली के नाम नहीं बल्कि पूरी फिल्म में छाए रहे एक मुर्गे सिकंदर के नाम होगा.
(लेखक सौरभ कुमार गुप्ता दिल्ली में एक नेशनल न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं और मीडियामंच के लिए खासतौर पर फिल्मों की समीक्षा करते हैं.)
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