
ये विभूतिया बउरा गया है
(शुक्रवार /03 सितम्बर 2010 /वर्धा /मीडिया मंच )
२ सितंबर की रात दस बजे। परिसर स्थित गोरख पांडेय छात्रावास में हफ़्तों में बिजली-पानी और भोजन की समस्या के ख़स्ताहाल छात्रों ने गुहार लगाने और अपने असंतोष का इज़हार करने के लिए कुलपति विभूति नारायण राय से मिलने का मन बनाया। छात्रावास से आधे किलोमीटर दूर कुलपति आवास पर वे इकट्ठा हुए। कोई बातचीत सुनने के बजाय पुलिसिया पृष्ठभूमि का यह बर्बर और उज्जड कुलपति अपना रिवालवर लहराते हुए अपने आवास से निकला और विद्यार्थियों को माँ-बहन की गाली और स्त्री गुप्तांगों की गालियाँ देते हुए अपनी सनक में गार्डों को लाठी चार्ज करने का आदेश दिया।
लगभग दर्जन भर छात्रों को गंभीर अंदरूनी चोट लगी और उनके प्राथमिक उपचार के बजाए उन्हें रातभर छात्रावास में क़ैद कर दिया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि किसी का उपचार न हो सके। प्रशासन और पुलिस के लोगों ने छात्रावास के सभी कमरों की तलाशी ले कर दहशत का हौआ बनाने की कोशिश की। घटना स्थल पर कवरेज़ के लिए आए प्रिंट और टीवी पत्रकारों को भी गाली गलौज के साथ खदेड़ दिया गया। परिसर में रात भर ख़ौफ़ का महौल पसरा रहा। सुबह होते ही विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अपना विरोध काली पट्टी बाँध कर एक मार्च के जरिए प्रदर्शित किया। इस मौन मार्च में पोस्टर पर छात्रों ने यह सवाल कुलपति से किया हमें आपने पीटा तो पीटा हमारी माँ बहनों से आपको क्या दुश्मनी थी, जो उनको गालियाँ दी। लगभग २०० विद्यार्थियों के इस विश्वविद्यालय में डेढ़ सौ लोग ने अपने गुस्से को मौन प्रदर्शन के जरिए जाहिर किया। साथ ही विद्यार्थियों ने कुलपति द्वारा किए गए अत्याचार और गुंडई की निंदा करते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की माँग की। ज्ञातव्य हो कि इससे पहले भी कुलपति विभूति नारायण राय अधिकतर हिंदी लेखिकाओं को छिनाल की संज्ञा दे चुके हैं, जिसका देश भर में लगातार विरोध हो रहा है।

नाथूराम गोडसे ने गांधी के देह को ख़त्म किया था, लेकिन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति ने कल रात गांधी के मूल्यों की हत्या की।
(वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के एक छात्र द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित .)
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