
सहारा और आउटलुक में अरबों की जंग
(बुधवार /08 सितम्बर 2010 /आलोक तोमर /डेटलाइनइंडिया .कॉम )
भारत के दो सबसे बड़े व्यापारिक घरानों में जो मीडिया में भी सक्रिय हैं, जंग छिड़ गई है। सहारा समूह ने आउटलुक बिजनेस पत्रिका निकालने वाले रहेजा समूह पर इल्जाम लगाया है कि उसने झूठ प्रकाशित कर के सहारा का नुकसान किया है और मानहानि का दो सौ करोड़ रुपए का मुकदमा भी कायम कर दिया गया है।
रहेजा मुंबई का जाना माना बिल्डर समूह है। लेकिन पत्रिकाओं के मामले में उसकी किस्मत अच्छी नहीं रही। हिंदी और अंग्रेजी में रहेजा समूह ने आउटलुक पत्रिकाएं निकाली थी। इनमें से हिंदी की आउटलुक साप्ताहिक अब पाक्षिक होते हुए मासिक हो गई है और जल्दी ही अदृश्य होने की तैयारी में है। इसके अलावा अंग्रेजी पत्रिका विनोद मेहता चला रहे हैं और वह भी बाजार में ज्यादा जगह नहीं पकड़ पाई। आउटलुक बिजनेस थोड़ी बहुत चल रही है।
इसी आउटलुक बिनजेस को ले कर रहेजा और सहारा में दो अरब रुपए की जंग छिड़ी है। आउटलुक बिजनेस ने सहारा पर बहुत सारे आर्थिक घोटालों का इल्जाम लगाते हुए मध्यस्त के अपने अंत में एक रिपोर्ट छापी थी जबकि जो भी आरोप इस रिपोर्ट में लिखे थे उनकी जांच सहारा समूह के अनुसार स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड और कई आर्थिक संस्थाएं कर रही है। ऐसे में सहारा से तथ्यों की पुष्टि किए बगैर यह रिपोर्ट छाप दी गई। सहारा ने इसी पर ऐतराज जताया है कि और अदालत ने सहारा का साथ देते हुए रहेजा की कंपनियाें को कह दिया है कि जब तक फैसला नहीं हो जाता तब तक सहारा के खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं छपेगी।
आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार सहारा समूह अपने ग्राहकों को धोखा देता है और उनका पैसा हजम कर जाता है। शेयर बाजार में भी उसने निवेशकों को ठगा है। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सहारा अखबारों में पैसा दे कर खबरे छपवाता है ताकि उसकी छवि ठीक नहीं रहे। इस रिपोर्ट में सीधे सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय पर आरोप लगाया गया है कि वे अपनी सफलताओं की झूठी कहानियां प्रचारित कर रहे है। यह भी कहा गया है कि पचास हजार करोड़ के कारोबार और नौ लाख से ज्यादा कर्मचारियों का सहारा का दावा भी गलत है। यह भी कहा गया है कि सहारा के ज्यादातर धंधे घाटे में चल रहे हैं।
घाटे वाली बात पर तो शायद ही कोई विचार करे क्योंकि सहारा समूह जिस तरह से अपार पैसे लगा कर भारतीय क्रिकेट टीम को प्रायोजित कर रहा है और आईपीएल की एक पूरी टीम खरीद लेता है यह कोई घाटे में चलने वाला समूह नहीं कर सकता। वैसे भी आउटलुक बिजनेस की रिपोर्ट की एक एक पक्ति से प्रतिशोध की गंध आती है। इसमें सहारा की देशभक्ति से ले कर सामाजिक परिवर्तन में भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं और विश्व का सबसे बड़ा परिवार कहने का मजाक उड़ाया गया है।
पत्रिका ने सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय के साथ अटल बिहारी वाजपेयी, बाल ठाकरे, दलाई लामा, बाबा रामदेव, प्रतिभा पाटिल, एपी जे अब्दुल कलाम, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, धीरूभाई अंबानी, स्वराज पॉल, रतन टाटा, बिल क्लिंटन और आदि गोदरेज के साथ खिंचवाए गए फोटोग्राफ्स का भी मजाक उड़ाया गया है। जाहिर है कि यह व्यापार की रिपोर्टिंग कम और सहारा को जलील करने की कोशिश ज्यादा है। सहारा के आर्थिक कारोबार यानी सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन को नॉन बैकिंग कंपनी कहते हुए पत्रिका आरोप लगाती है यह म्यूचुअल मंड और जीवन बीमा में भी काम कर रही है। मगर पत्रिका का आरोप है कि यह जानकारी सिर्फ सहारा की वेबसाइट पर ही उपलब्ध है और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कई बार सहारा के खिलाफ जांच की है मगर सहारा के खिलाफ कभी कुछ साबित नहीं हुआ।
जहां तक आउटलुक्स समूह यानी रहेजा बंधुओं की पत्रकारिता में असफलता का कारण है तो इसके बारे में खुद आउटलुक समूह के लोग स्वीकार करते है कि आउटलुक हिंदी तो कभी ठीक से चल ही नहीं पाई क्योंकि इसके संपादक की दिलचस्पी पत्रिका से ज्यादा सरकार में अपने काम करवाने में थी। अंग्रेजी की पत्रिका भी इसलिए नहीं चल पा रही क्योंकि इसके संपादक विनोद मेहता अपने ऑफिस से ज्यादा टीवी के स्टूडियो में बैठ कर ज्ञान बांटते हुए नजर आते हैं।
(साभार - डेटलाइनइंडिया .कॉम )
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