Tuesday, September 28, 2010

(मंगलवार /28 सितम्बर 2010 / खालिद मोहम्मद /मुंबई )
आदरणीय डॉक्टर साब!
तो फ़ाइनली आपने अपने एकिक नियम से अपने जीवन का गुणा भाग तो सही कर लिया पर हम सबको आसुँओ के साथ प्लस-माइनस करने को यही छोड़ गए-आपको याद करते हुए क्या प्लस-माइनस करें!! आपके साथ सब प्लस था,आपके बिना सब माइनस है.लोग समझ नहीं पाएं होगे कि आपका ये एकिक नियम क्या था,तो आज पढ़ने वालो को भी बता देता हूं – माफ़ कीजिएगा. दोस्तो,डॉक साब को किडनी की बीमारी थी, हिंदुजा के डाक्टर ने उनसे कहा- “अरे नंदन,क्या करते हो,तुरंत एडमिट हो जाओ वर्ना बचोगे नहीं,तुम्हारी पैसठ फ़िसदी किडनी डैमेज हो चुकी है” डाक्टर नदंन ने हँसकर कहा-“ डॉक साब,गणित का एकिक नियम आता है आपको?? अगर पैसठ परसेंट किडनी खराब होने में साठ साल लगे तो बाकी खराब होने में कितना वक्त लगेगा ?” और डॉक्टर नंदन ने ज़ोर का ठहाका लगाया-खुद डॉक्टर नंदन ने अपना ये किस्सा मुझे हसँते-हसँते सुनाया था- ये उनकी जीवंतता थी , यही उनकी पहचान थी. मैं उनकी कविताओ को संगीतबद्ध करना चाहता था और वो इसके लिए काफ़ी इच्छुक थे- बोले "बेटा जल्दी कर दो" – मैं जल्दी नहीं कर पाया. मुझे क्या पता था कि उन्हे जाने की जल्दी थी.आज भी कभी खाली शामों को अकेले बैठूगाँ तो डॉक साब की हर याद आखों से बहेगी,मनों में भरेगी और होठों को सिलेगी.. बस एक ही टीस.. कुछ अधूरा सा रह गया... इस अधूरेपन के साथ वो आर्टिकल आपको समर्पित कर रहा हूँ जो मैंने 1999 में उनके अभिनंदन ग्रंथ ‘बैचन रूह का परिन्दा ’ में लिखा था.
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खालिद मोहम्मद


(खालिद टीवी लेखक,क्रिएटिव डायरेक्टर और प्रोड्यूसर है और डॉ नदंन के साथ इन मुबंई समाचारो में काम कर चुके हैं

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