एचयूजे का चुनाव सवालों के घेरे में!
(सोमवार /११ अक्तूबर २०१०/दीपक खोखर/रोहतक )
चुनाव अधिकारी ने मतदाता सूची में संषोधन के लिए पत्र लिखा
चुनाव घोशित होने के बावजूद बुलाई गई कार्यकारिणी की बैठक
रोहतक, 11 अक्टूबर। हरियाणा यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स यानि एचयूजे का चुनाव सवालों के घेरे में है। प्रधान पद पर चैधर जमाने को लेकर संगठन के नेताओं में घमासान मचा हुआ है। सभी एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछाल रहे हैं। वहीं, चुनाव अधिसूचना जारी होने के बावजूद निवर्तमान महासचिव ने प्रदेष कार्यकारिणी की बैठक भी बुला ली, जबकि चुनाव में वे प्रधान पद के उम्मीदवार हैं। उधर, चुनाव अधिकारी ने अधिसूचना जारी के बाद अब दोबारा मतदाता सूची में संषोधन के लिए पत्र लिख दिया है। ऐसे में हरियाणा के सबसे बड़े पत्रकारों के इस संगठन पर सवाल उठना लाजिमी है। यह संगठन नेषनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स से संबी है।
कब लिया गया चुनाव का निर्णयः एचयूजे की प्रदेष कार्यकारिणी की बैठक 1 अगस्त 2010 को महर्शि दयानंद विष्वविद्यालय रोहतक में हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधान संजय राठी ने की थी, जबकि संचालन प्रदेष महासचिव बलजीत सिंह ने किया था। इस बैठक में संगठन की प्रदेष कार्यकारिणी के सदस्य और अन्य कई वरिश्ठ नेताओं के अलावा प्रमुख रूप से यूनियन के सलाहकार एवं हरियाणा प्रषासनिक सुधार आयोग के सदस्य डीआर चैधरी भी मौजूद थे। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि यूनियन के प्रदेषाध्यक्ष, महासचिव और कार्यकारिणी के 31 सदस्यों का चुनाव वार्शिक अधिवेषन में कराया जाएगा। यह अधिवेषन फरीदाबाद में होगा, जिसकी तिथि बाद मंे तय होगी। इस अधिवेषन में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी बुलाने का निर्णय लिया गया। साथ ही वरिश्ठ पत्रकार अषोक मलिक को चुनाव अधिकारी बनाने का निर्णय बैठक में लिया गया।
कब जारी हुई चुनाव अधिसूचना ः चुनाव अधिकारी अषोक मलिक ने 6 सितम्बर 2010 को चुनाव अधिसूचना जारी कर दी। जिसके तहत यूनियन के प्रदेषाध्यक्ष, महासचिव और प्रदेष कार्यकारिणी के 31 सदस्योें के चुनाव के लिए प्रक्रिया आरंभ की गई। 14 सितंबर “ााम साढ़े छह बजे तक नामांकन के लिए अंतिम तारीख तय की गई। चुनाव अधिकारी के पास चंडीगढ़ नामांकन दाखिल किए गए। जिसके बाद 15 सितंबर को “ााम साढ़े छह बजे चंडीगढ़ प्रैस क्लब में नामांकन पत्रों की जांच की गई। नाम वापस लेने के लिए 17 सितंबर को “ााम साढ़े छह बजे तक का समय निर्धारित किया गया। अधिसूचना में यह जिक्र किया गया कि अगर मतदान आवष्यक हुआ तो वार्शिक अधिवेषन के दिन होगा। इस चुनाव अधिसूचना में यह भी जानकारी दी गई कि चंडीगढ़ जर्नलिस्ट्स एसोसिएषन के महासचिव अवतार सिंह सहायक चुनाव अधिकारी होंगे। यह अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेष भर से नामांकन का दौर चला। नाम वापसी के बाद प्रधान पद के लिए दो ही उम्मीदवारों का नाम सामने आया। एक यूनियन के निवर्तमान प्रदेषाध्यक्ष संजय राठी और दूसरा निवर्तमान प्रदेष महासचिव बलजीत सिंह का। इसके अलावा महासचिव पद के लिए आधा दर्जन से ज्यादा ने अपनी उम्मीदवारी जताई।
चुनाव अधिकारी ने असमर्थता जताईः चुनाव अधिसूचना जारी होने और नामांकन की तमाम प्रक्रिया संपन्न होने के एक दिन बाद यानि 18 सितंबर 2010 को चुनाव अधिकारी अषोक मलिक ने एचयूजे के चुनाव कराने में अपनी असमर्थता जाहिर की और यूनियन के सभी सदस्यों के नाम एक पत्र लिखा। उन्होंने यूनियन की मतदाता सूची पर सवाल उठाते हुए पदाधिकारियों को आड़े हाथों लिया। श्री मलिक का कहना था कि 20 अगस्त 2010 को उन्हें एक हजार से ज्यादा सदस्यों की सूची भेजी गई थी, लेकिन इस पर किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे। उन्होंने तुरंत ही प्रदेष महासचिव से अनुरोध किया कि उन्हे तुरंत ही सही मतदात सूची भेजी जाए जिस पर यूनियन के प्रदेषाध्यक्ष और महासचिव के हस्ताक्षर हों। इसके अलावा यूनियन के संविधान में ताजा बदलाव और यूनियन की वर्किंग कमेटी की ओर से अपनाए गई चुनाव प्रक्रिया की जानकारी दी जाए। चुनाव अधिकारी का यह कहना है कि उन्हें 30 अगस्त को उस समय सूची दी गई जब प्रधान और महासचिवएनयूजे के अध्यक्ष पीके राय द्वारा चंडीगढ़ में बुलाई गई बैठक में “ाामिल होने के लिए पहुंचे। यूनियन के संविधान के मुताबिक छंटनी कमेटी द्वारा तैयार की गई लिस्ट के आधार पर ही चुनाव कराया जाएगा। बकौल मलिक इसी दौरान यूनियन के वरिश्ठ सदस्य डीएन दिवाकर और विजय “ार्मा ने भी मतदाता सूची पर सवाल उठाते हुए खुद को यूनियन से अलग होने की घोशणा कर दी। ऐसे में अषोक मलिक ने चुनाव संपन्न कराने में अपनी असमर्थतता जाहिर कर दी। उन्होंने 8 अक्टूबर 2010 को एक बार फिर यूनियन के सदस्यों के नाम एक पत्र लिखा। जिसमें उक्त तमाम बातों के अलावा कुछ अन्य बिंदू भी जोड़ दिए गए। उनका कहना है कि सूची अभी भी सही नहीं है और यूनियन के दोनों वरिश्ठ नेता यानि प्रधान व महासचिव एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इस बार फिर उन्होंने चुनाव कराने में असमर्थतता जाहिर करते हुए इस मामले में एनयूजे से हस्तक्षेप की मांग की है। इससे पहले अषोक मलिक ने 3 अक्टूबर को निवर्तमान महासचिव बलजीत सिंह को भी पत्र लिखा था।
निवर्तमान महासचिव ने कुरूक्षेत्र में बुलाई बैठकः एचयूजे में तमाम विरोधाभासों के बीच निवर्तमान प्रदेष महासचिव बलजीत सिंह ने 3 अक्टूबर को कुरूक्षेत्र में यूनियन की प्रदेष कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। इस बैठक का निवर्तमान प्रधान संजय राठी समेत ज्यादातर कार्यकारिणी सदस्यों ने बहिश्कार किया। हालांकि इस बैठक में एनयूजे के उपाध्यक्ष जितेंद्र अवस्थी, पूर्व प्रदेषाध्यक्ष अष्वनी दत्ता, सोमनाथ “ार्मा, विनोद जिंदल, विजय “ार्मा और भूपेंद्र धर्माणी प्रमुख रूप से मौजूद थे। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि यूनियन का वार्शिक अधिवेषन एवं चुनाव 31 अक्टूबर को अंबाला या सिरसा में कराया जाएगा। पिछली चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने और नई चुनाव प्रक्रिया “ाुरू करने का निर्णय लिया गया। जितेंद्र अवस्थी द्वारा अषोक मलिक से टेलीफोन पर चर्चा करने के बाद उन्हें ही एक बार फिर चुनाव अधिकारी बनाया गया। प्रधान और महासचिव का कार्यकाल भी एक साल करने का निर्णय लिया गया। उधर, निवर्तमान प्रधान संजय राठी इस जुगत में हैं कि किसी तरह एक बार फिर उनके हाथ ही प्रधान की कुर्सी लग जाए या फिर उन्हें एनयूजे में स्थान मिल जाए।
निवर्तमान कार्यकारिणी सदस्य ने लिखा खुला पत्रः इस बीच एचयूजे की प्रदेष कार्यकारिणी के निवर्तमान सदस्य सुभाश ने संगठन के सभी सदस्यों के नाम खुला पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि यूनियन के चुनाव के लिए दोबारा प्रक्रिया शुरू करना असंवैधानिक है। उन्होंने निवर्तमान महासचिव बलजीत सिंह द्वारा कुरूक्षेत्र में बुलाई गई बैठक पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि चुनाव प्रक्रिया “ाुरू होने के बाद सिर्फ चुनाव अधिकारी ही बैठक बुला सकता है, अन्य कोई नहीं। बकौल सुभाश यूनियन आज राजनीति का अखाड़ा बन गई है। इस लड़ाई ने साबित कर दिया है कि हम कितने ही प्रबुी हों, लेकिन हमारी मानसिकता नहीं बदली है। हम अपने हित साध रहे हैं, जबकि पत्रकारों के भले के लिए, यूनियन की मजबूती के लिए हमारा कोई प्रयास नहीं दिखता।
एचयूजे के चुनाव को लेकर सवाल
1.चुनाव अधिकारी को जब मतदाता सूची पर एतराज था तो 6 सितंबर को चुनाव अधिसूचना क्यों जारी की गई
2. नामांकन प्रक्रिया संपन्न होने के एक दिन बाद चुनाव कराने में किसलिए असमर्थता जाहिर की गई और सभी सदस्यों को पत्र लिखा
3. निवर्तमान महासचिव ने नामांकन प्रक्रिया के बाद किस हैसियत से कुरूक्षेत्र में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई
4. एक अगस्त 2010 की प्रदेष कार्यकारिणी की बैठक में लिए गए निर्णयों को क्यों बदल दिया गया
5. नामांकन प्रक्रिया से पहले ही मतदाता सूची को दुरूस्त करने के लिए कहा जा सकता था
6. क्या चुनाव मंे कोई उम्मीदवार प्रदेष कार्यकारिणी की बैठक बुला सकता है
7. चुनाव अधिकारी ने किसलिए कुरूक्षेत्र की बैठक पर मोहर लगाई और दोबारा चुनाव अधिकारी बनना स्वीकार किया
(रोहतक से दीपक खोखर की रिपोर्ट .)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment